भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में बदलाव किए हैं। केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की है, इसे 6 फीसदी से कम करके 5.75 फीसदी कर दिया है। रेपो रेट घटने से बैंक से लोन लेने वाले कर्जदारों को थोड़ी राहत जरूर मिलने वाली है। जानकारों के मुताबिक आरबीआई के इस कदम से लोन सस्ता हो सकता है। इसके अलावा रिवर्स रेपो रेट को भी संतुलित करने की कोशिश की गई है। इसे 5.50 फीसदी किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के सभी मेंबर रेपो रेट में 0.25% की कटौती और बदलाव के पक्ष में रहे। मौद्रिक नीति सिमिति की बैठक का पूरा ब्यौरा 20 जून 2019 को जारी किया जएगा।

रिजर्व बैंक के इस कदम से बैंक से ऋण लेने वाले या ईएमआई वालों को राहत मिलने के आसार हैं। पिछले पांच महीनों में उधारी दर यानी रेपो दर में यह तीसरी कटौती है। इससे बैंकों के धन की लागत कम होने और उनकी ओर से मकान, कारोबार और वाहनों के कर्ज पर मासिक किस्त (ईएमआई) कम किए जाने की संभावना है। साथ ही कंपनियों पर कर्ज लौटाने का बोझ कम होगा।Cमाना जा रहा है रेपो रेट में कटौती की वजह से बैंक अपने ब्याज दर घटा सकते हैं। क्योंकि, इस कदम से अब बैंको का मार्जिनल कॉस्ट बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) भी घट जाएगा।

हालांकि, जमाकर्ताओं के बैंक में जमा धनराशि पर कमाई कम हो जाएगी। गौरतलब है कि यह बदलाव पिछले महीने आधिकारिक आंकड़ों के सामने आने के बाद किया गया है। उस दौरान बताया गया था कि देश की जीडीपी में 31 मार्च तक 5.8 फीसदी पर आ गई है और भारत की अर्थव्यवस्था चीन से पिछड़ने लगी है। रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के विकास की रफ्तार सुस्त हो रही है और वह तेजी से बढ़ने वाली इकॉनमी का स्टेटस खो चुका है।