बचपन में दुर्व्यवहार या उपेक्षा के शिकार बच्चों को जीवनभर खराब स्वास्थ्य का दंश झेलना पड़ सकता है। इसकी वजह से उनमें मानसिक रोग का खतरा ज्यादा बना रहता है। इतना ही नहीं, ऐसे बच्चों के युवा अवस्था में मोटापे का शिकार होने की संभावना भी अधिक होती है। साथ ही वे शरीर में सूजन और आघात के प्रति भी अधिक संवेदनशील होते हैं। एक नए शोध के नतीजों में यह दावा किया गया है।
ब्रिटेन स्थित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में बचपन में दुर्व्यवहार या उपेक्षा के शिकार रहे वयस्कों के मस्तिष्क को स्कैन कर गहन अध्ययन किया। इस दौरान पाया गया कि शोध में शामिल वयस्कों के मस्तिष्क की संरचना में व्यापक परिवर्तन हुए हैं, जैसे मोटाई में बढ़ोतरी हुई और आयतन में कमी। ये परिवर्तन मानसिक रोग, मोटापा, सूजन और आघात से जुड़े हुए हैं। शोधकर्ताओं ने कहा है कि इन संरचनात्मक परिवर्तनों से मस्तिष्क की कोशिकाओं को होने वाली क्षति का पता चलता है, जिससे उनकी कार्यप्रणाली प्रभावित होती है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह ज्ञात है कि दुर्व्यवहार का सामना करने वाले बच्चों में मानसिक बीमारी विकसित होने की अधिक संभावना होती है, लेकिन यह अभी तक अच्छी तरह से समझ में नहीं आया है कि पहली बार दुर्व्यवहार होने के कई दशकों बाद भी यह जोखिम क्यों बना रहता है। अध्ययन के निष्कर्ष इस समझ को आगे बढ़ाते हैं कि बचपन की प्रतिकूल घटनाएं जीवनभर मस्तिष्क और मानसिक स्वास्थ्य विकारों के जोखिम को कैसे बढ़ा सकती हैं। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर व इस शोध में शामिल एडवर्ड बुलमोर ने कहा, ‘इस अध्ययन से हमें उन लोगों पर जल्दी ध्यान केंद्रित करने में मदद मिल सकती है।’ जिन्हें सबसे ज्यादा मदद की जरूरत है।’
40-70 वर्ष की आयु के 21,000 से अधिक वयस्कों पर किया अययन
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 40-70 वर्ष की आयु के 21,000 से अधिक वयस्कों को शामिल किया। चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एमआरआई) के जरिए उनके मस्तिष्क की जांच की गई। इसके निष्कर्ष का उनके बाडी मास इंडेक्स (बीएमआई), सी-रिएक्टिव प्रोटीन स्तर (जो सूजन के लक्षण प्रकट करते हैं) और बचपन के दुर्व्यवहार व वयस्क आघात के उनके अनुभवों के साथ विश्लेषण किया गया।