चीन में किए गए एक अध्ययन से यह बात सामने आई है कि वायु प्रदूषण का स्तर कम होने से आत्महत्या की दर में कमी आ सकती है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सांता बारबरा के अनुसंधानकर्ताओं का अनुमान है कि वायु प्रदूषण को कम करने के चीन के प्रयासों ने केवल पांच वर्षों में देश में आत्महत्या के कारण होने वाली 46,000 मौतों को रोका है।

अध्ययन रिपोर्ट ‘नेचर सस्टेनेबिलिटी’ पत्रिका में प्रकाशित हुई है। इसमें कहा गया है कि वायु गुणवत्ता मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में शामिल है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि वायु प्रदूषण जैसे मुद्दों को अकसर एक शारीरिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में देखा जाता है जो अस्थमा, हृदय रोग और फेफड़ों के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनता है। अनुसंधान दल ने पूर्व में भारत में आत्महत्या की दर पर तापमान के प्रभाव का अध्ययन किया था जिसमें पाया गया कि अत्यधिक गर्मी ऐसी घटनाओं को बढ़ाती है।

दल इस तथ्य को जानने को लेकर उत्सुक था कि चीन में आत्महत्या की दर दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में कहीं अधिक तेजी से कम हुई है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि साल 2000 में देश की प्रति व्यक्ति आत्महत्या दर वैश्विक औसत से अधिक थी लेकिन दो दशक बाद यह उस औसत से नीचे आ गई है।

इस अध्ययन में यह पता चला कि कैसे खराब हवा में सांस लेने की वजह से लोगों के बीच आत्महत्या करने की इच्छा बढ़ जाती है। साल 2013 में चीन ने वायु प्रदूषण कम करने के कड़े कदम उठाने शुरू किए, इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए। अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक, हवा में पाए जाने वाले खतरनाक कण सांस के रास्ते सीधे दिमाग तक जाते हैं।

इससे दिमाग का रासायनिक संतुलन 24 घंटे के अंदर बदल जाता है और दिमागी हालत कमजोर होने लगती है और व्यक्ति आत्मघाती कदम उठा लेता है। इस अध्ययन में यह भी बताया गया है कि कैसे चीन ने वायु प्रदूषण कम करने के जो प्रयास किए, उनकी वजह से खुदकुशी की संख्या में कमी भी आई है।