उत्तराखंड के उत्तरकाशी टनल में 16 दिन से फंसे मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है। मजदूरों को एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया जा रहा है। मजदूरों की हालत एकदम ठीक है। बता दें कि मजदूरों को बचाने के लिए विज्ञान और भगवान दोनों पर आसरा जताया जा रहा था। एक तरफ टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल किया गया तो दूसरी ओर सुरंग के मुख्य द्वार के बाहर बाबा बौखनाग का मंदिर बनाकर पूजा की गई।
स्थानीय लोगों का कहना था कि इस हादसे के पीछे बाबा बौखनाग की नाराजगी थी। लोगों का कहना था कि बाबा नाराज हैं। इसी कारण यह हादसा हुआ है और इसी वजह से रेस्क्यू के काम में बाधा आ रही है। रिपोर्ट के अनुसार, हादसे के कुछ दिनों बाद सुंरग के बाहर बाबा बौखनाग का मंदिर बनाकर पूजा शुरू की गई। इसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन का काम आगे बढ़ने लगा। एक्सपर्ट और टीमें बाबा बौखनाग का आशीर्वाद लेने के बाद ही रेस्क्यू ऑपरेशन के काम में जुटते थे।
यह आस्था ही है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बाबा बौखनाग मंदिर पर जाकर माथा टेका और फिर कहा है कि ऑपरेशन बाबा के आशीर्वाद से सफल हो रहा। इतना ही नहीं विदेशी एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने भी बाबा के मंदिर पर माथा टेका था। स्थानीय लोग इसे चमत्कार बता रहे हैं कि बाबा के मंदिर के पीछे महादेव की परछाई नजर आ रही है। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह परछाई पहाड़ में पानी रिसने के कारण बनी है। लोगों का कहना है कि इस ऑपरेशन को सफल करने के लिए बाबा बौखनाग साक्षात वहां मौजूद हैं।
बाबा बौखनाग क्यों हुए थे नाराज
बाबा बौखनाग का मंदिर उत्तराखंड के नौगांव में पहाड़ों के बीच है। हर साल यहां मेला लगता है। सच्ची आस्था के साथ नंगे पांव जो नव दंपत्ति और निसंतान इस मेले में भाग लेकर मंदिर का दर्शन करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। स्थानीय लोगों के अनुसार, बाबा बौखनाग की उत्पत्ति नाग के रूप में हुई थी। लोगों का कहना है कि जहां बाबा का मंदिर है उसके ठीक नीचे से सुरंग गुजरती है। इसलिए उनकी पूंछ के नीचे से सुंरग का गुजरना हितकारी नहीं होगा।
क्यों नाराज हुए बाबा
स्थानीय लोगों का मानना है कि सिल्क्यारा टनल का जब निर्माण हो रहा था तो बिल्डर्स ने बाबा बौखनाग के प्राचीन मंदिर नष्ट कर दिया। इसी कारण से बाबा नाराज हो गए। स्थानीय लोग का दावा है कि इसी कारण बाबा नाराज हो गए। जब टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने का काम शुरु किया गया तो रेस्क्यू ऑपरेशन में काफी दिक्कतें सामने आईं थीं। कभी भूस्खलन, कभी पत्थर तो कभी मशीन खराब हो गई।
इसके बाद अधिकारियों ने बाबा से माफी मांगी। बाबा का मंदिर बनाकर पूजा अर्चना की गई। लोगों का मानना है कि इसके बाद से ही रेस्क्यू ऑपरेशन का काम सफल होने लगा औऱ अब मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।