मानसून सत्र में संसद में काम न होने से नाराज एंकर अर्नब गोस्वामी रिपब्लिक चैनल पर डिबेट के दौरान विपक्षियों को ही आड़े हाथ लेने लगे। इस पर नाराज होकर एक पैनलिस्ट ने कहा, ‘अर्नब आपको चिल्लाने के सिवाय आता क्या है? सवाल पूछना तो आपको आता नहीं है?’ वहीं एक दूसरे पैनलिस्ट कहने लगे कि अर्नब आप सुनियोजित तरीके से डिबेट कराते हैं। जिसका एक खास मकसद होता है। पैनलिस्ट ने कहा कि आप विपक्ष को सुनना नहीं चाहते हैं। उन लोगों को ही बोलने देते हैं जो आपके मुताबिक बात करते हैं।

मालूम हो कि पेगासस जासूसी विवाद, कृषि कानूनों सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के हंगामे के कारण सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही बार बार बाधित हुई। साथ ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक सदस्यों ने सदन से वाकआउट भी किया। हालांकि इस दौरान सरकार तीन महत्वपूर्ण विधेयकों को सदन से मंजूरी दिलाने में सफल रही। विधेयकों को मंजूरी दिए जाने के बाद सदस्यों ने विशेष उल्लेख के जरिए लोक महत्व के अपने मुद्दे उठाए। इसके बाद उपसभापति हरिवंश ने बैठक दिन भर के लिए स्थगित कर दी।

इससे पहले तीन बार के स्थगन के बाद अपराह्न साढ़े तीन बजे बैठक शुरू होने पर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने विधेयक को पूरक एजेंडे में शामिल किए जाने पर आपत्ति जतायी। उन्होंने कहा कि ऐसे अहम विधेयक को चर्चा के लिए लाए जाने से पहले सदस्यों को पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘घंटे-दो घंटे पहले ऐसे अहम विधेयक को लाया जाना न्यायोचित नहीं है। सरकार को सोच समझकर इसे एजेंडे में शामिल करना चाहिए। ऐसी गलत चीजों का हम समर्थन नहीं करते हैं। इसलिए हम सदन से बहिर्गमन करते हैं।’’

इस पर सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब पूरक एजेंडा वितरित किया गया है। उन्होंने कहा कि देश हित में इस विधेयक को पूरक एजेंडा में शामिल किया गया है।

खड़गे के साथ तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय और द्रमुक के तिरुचि शिवा ने भी विधेयक को सदन में लाने के सरकार के तरीके का विरोध किया। कांग्रेस के बाद तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक के सदस्य भी सदन से वाकआउट कर गए।