राष्‍ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने हाल ही में नरेंद्र मोदी सरकार से कहा है कि वह कानून बनाकर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की राह तैयार करे। अब केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा अपने सभी विकल्पों पर विचार कर रही है। संसद के शीतकालीन सत्र में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस निश्चित रूप से राफेल डील को मुद्दा बनाएगी। भाजपा राम मंदिर के मुद्दे पर अध्यादेश लाकर कांग्रेस के इस अभियान की ​हवा निकाल सकती है।

द टेलीग्राफ की खबर की मुताबिक, भाजपा सूत्रों का ये मानना है कि इस मामले पर आखिरी फैसला ये देखने के बाद लिया जाएगा कि आखिर सुप्रीमकोर्ट इस मामले को किस तरह से देख रहा है। विवादित भूमि पर मालिकाना हक के सवाल के मसले पर अगले महीने से सुनवाई शुरू होने वाली है।

द टेलीग्राफ के मुताबिक, संघ परिवार की कई शाखाओं, जैसे विश्व हिंदू परिषद ने ये तय किया है कि साल 2019 से पहले के लोकसभा चुनावों से पहले जनमत को राममंदिर के पक्ष में मोड़ दिया जाए। इसे विस्तृत रूप से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले दबाव बनाने की रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है। वहीं भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि विश्व हिंदू परिषद भाजपा नेतृत्व के करीबी समन्वय में काम कर रही है।

आरएसएस के सर संघचालक मोहन भागवत ने गुरुवार (18 अक्टूबर) को सालाना विजयदशमी महोत्सव के दौरान अपने उदबोधन में सरकार से कहा कि वह अयोध्या के विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने के लिए ‘उचित कानून’ लाएं। उन्होंने कहा कि मंदिर ‘सौहार्द और एकता’ का माहौल बनाने का रास्ता तैयार करेगा।

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द टेलीग्राफ से बातचीत में भाजपा के एक राष्ट्रीय नेता ने कहा,”आरएसएस के सरसंघचालक पूरे संघ परिवार के मुखिया हैं, जिसमें भाजपा भी शामिल है। जब वह भाजपा को एक कानून पास करने के लिए कहते हैं तो पार्टी नेतृत्व इसे अनदेखा नहीं कर सकती। हालांकि हम अपनी रणनीति तैयार करने से पहले ये जरूर देखेंगे कि सुप्रीम कोर्ट में ये केस कौन सा मोड़ लेता है।”

वहीं भाजपा में कई लोगों को लगता है कि सरकार को इस शीतकालीन सत्र में संसद में इस पर प्रस्ताव लाकर कांग्रेस को राम मंदिर के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए उस वक्त बाध्य किया जा सकता है, जब वह अपना पूरा ध्यान राफेल डील पर लगाए रखना चाहते हैं।

भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने द टेलीग्राफ से कहा,”भाजपा इस मामले (अयोध्या विवाद) के निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रही है। लेकिन यदि कोर्ट इस मामले में विफल होता है तो सरकार कानून भी ला सकती है। इन दिनों कांग्रेस भी हिंदू पार्टी बनने की कोशिश कर रही है। इसलिए वह भी प्रस्तावित कानून का समर्थन करेगी और ये निर्विवाद रूप से बिना किसी विरोध के पास हो जाएगा।”

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