भारत में किशोर अवस्था प्रेगनेंसी के 44 लाख मामले सामने आए हैं। इनमें अकेले उत्तर प्रदेश (यूपी) से ही चार लाख किशोरियां हैं। बुधवार (3 जुलाई 2019) को सोसायटी ऑफ एडवांसमेंट ऑफ विलेज इकॉनमी (SAVE) और वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजस (WASME) की ओर से आयोजित किशोरियों पर मातृत्व का बोझ विषय पर एक कार्यक्रम के दौरान हुई चर्चा में यह बात सामने आई।
कार्यक्रम में शामिल कई विशेषज्ञों ने दावा किया कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएचएफएस-4) और 2011 की जनगणना के आधार पर यह आंकड़ें जुटाए गए हैं। जो कि उनके इस दावे को पुख्ता करते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, भारत में हर दसवीं किशोर अवस्था में गर्भवती होने वाली लड़की उत्तर प्रदेश से है। बहराइच जिले में इन मामलों की अधिकतम संख्या देखी गई है।
कार्यक्रम के बाद पैनल डिस्कशन में पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुतरेजा ने भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, एनएचएफएस डाटा दर्शाता है यूपी में 15 से 19 वर्ष की अवस्था में 23 प्रतिशत लड़कियां बच्चे को जन्म देती हैं क्योंकि उन्हें गर्भनिरोधन की सही से जानकारी नहीं होती। किशोर अवस्था प्रेगनेंसी के जो 44.67 लाख मामले सामने आए हैं उनमें से 89 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों से हैं। इन क्षेत्रों में जागरुकता की जरूरत है।
वहीं कार्यक्रम में मौजूद उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा है कि किशोर अवस्था प्रेगनेंसी के बढ़ते मामलों को रोकना होगा। उन्होंने कहा कि भारत में हर दसवीं किशोर अवस्था में गर्भवती होने वाली लड़की उत्तर प्रदेश से है। जबकि इसमें कमी लाने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। हमें ‘बेटी बचाओ’ अभियान पर और काम करने की जरूरत है। हमें बेटियों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना होगा। इसके लिए जमीनी स्तर पर ऐसी व्यवस्था करनी होगी जिससे इन मामलों में कमी आए।यूपी में किशोर अवस्था में ही लड़कियों की शादी करवा दी जाती है। जिसके बाद वह प्रेगनेंट हो जाती हैं। इससे उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ते हैं। हमें लोगों को जागरुक करने और यह बताने की जरूरत है कि किशोरअवस्था में शादी करवाना गैर-कानूनी है।’