अंडमान निकोबार के चीफ सेक्रेट्री रहे जितेंद्र नारायण को रेप के मामले में जमानत दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाएं बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दीं। जितेंद्र नारायण को कलकत्ता हाईकोर्ट की पोर्ट ब्लेयर बेंच ने 20 फरवरी को जमानत दी थी। हाईकोर्ट के फैसले को राज्य और शिकायतकर्ता महिला ने चुनौती दी थी। एसआईटी ने इस मामले में तीन फरवरी को 935 पृष्ठ का आरोप पत्र दायर किया था।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ व जस्टिस ए अमानुल्ला की बेंच ने कहा कि हमने खाचिकाएं खारिज कर दी हैं। बेंच ने निचली अदालत को सुनवाई में तेजी लाने को भी कहा। कोर्ट का कहना था कि सारे पक्ष सुनवाई में पूरा सहयोग देंगे। महिला ने आरोप लगाया है कि उसे सरकारी नौकरी दिलाने का वायदा कर तत्कालीन मुख्य सचिव के आवास में बुलाया गया। वहां जितेंद्र नारायण के साथ दूसरे लोगों ने उसके साथ दुष्कर्म किया था।
जितेंद्र नारायण को पिछले वर्ष 10 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ अक्टूबर 2022 को FIR दर्ज की गई थी। तब वह दिल्ली वित्तीय निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के पद पर थे। सरकार ने उन्हें पिछले साल 17 अक्टूबर को निलंबित कर दिया था। एक अगस्त को शीर्ष अदालत ने जमानत के खिलाफ 21 वर्षीय महिला की ओर से दाखिल याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।
प्रासीक्यूटर ने लगाया था सीसीटीवी फुटेज के साथ और सबूत नष्ट करने का आरोप
प्रासीक्यूटर ने शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी थी कि पूर्व मुख्य सचिव को जमानत देने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि रिकॉर्ड में उपलब्ध सामग्री के आधार पर उनके खिलाफ पहली नजर में देखने के बाद ही मामला बनता है। उन्होंने सीसीटीवी फुटेज समेत सबूतों को नष्ट करने का आरोप लगाकर कहा कि पीड़िता का बयान रेप का मामला साबित करने के लिए पर्याप्त है। उधर, जितेंद्र नारायण के वकील ने दावा किया था कि उनके मुवक्किल को फंसाया गया है। उनकी दलील थी इस मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है, क्योंकि आरोपी एक प्रभावशाली शख्सित रहा है।