रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने एक दिन पहले ही कंपनी की सालाना आम सभा में ऐलान किया था कि वे ग्रीन एनर्जी (स्वच्छ ऊर्जा) के क्षेत्र में भी निवेश करने जा रहे हैं। अंबानी ने कहा था कि उनकी कंपनी अगले तीन साल में इस बिजनेस में 75 हजार करोड़ रुपए का निवेश करेगी। उन्होंने बताया कि रिलायंस गुजरात के जामनगर में चार गीगाफैक्ट्री तैयार करने में 60 हजार करोड़ का निवेश करेंगी। इससे 2030 तक 1,00,000 मेगावाट सौर ऊर्जा स्थापित करेगी और क्षमता सृजित करने में योगदान देगी।
रिलायंस चेयरमैन के इस ऐलान के बाद जहां ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े लोगों ने इस कदम का स्वागत किया है, वहीं उद्योग जगत के लोग इसे अब भारत के दो सबसे बड़े उद्योगपतियों के बीच एक ही कारोबार में टक्कर के तौर पर भी देख रहे हैं। दरअसल, भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी भी लंबे समय से स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश कर रहे हैं। इन दोनों के अलावा वैश्विक स्तर पर टेस्ला और स्पेसएक्स जैसी कंपनियों के संस्थापक एलन मस्क भी ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में बड़े निवेशक हैं।
ग्रीन एनर्जी पर क्या बोले थे अडानी?: गौतम अडानी ने कुछ समय पहले ही कहा था कि उनके समूह का लक्ष्य 2025 तक दुनिया की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा कंपनी और 2030 तक सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी बनना है। अडानी ग्रुप की नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता 2500 मेगावाट से अधिक है। वर्ष 2020 में इसके दोगुना हो जाने और 2025 तक 18,000 मेगावाट पहुंच जाने का अनुमान है। कंपनी की 2900 मेगावट की क्षमता निर्माणधीन है। अडानी ने कहा था कि दीर्घकाल में चीजें नवीकरणीय ऊर्जा के पक्ष में होंगी और जो यह कहावत थी कि नवीकरणीय ऊर्जा पर्यावरण के लिये अच्छा है लेकिन कारोबार के लिहाज से बुरा, वह बीते दिनों की बात होगी।
AGM में ग्रीन एनर्जी पर क्या बोले अंबानी?: रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कंपनी की 44वीं सालाना आम बैठक में कहा कि कंपनी सौर ऊर्जा के लिये सौर फोटोवोल्टिक मोड्यूल, ऊर्जा भंडारण के लिये अत्याधुनिक एनर्जी स्टोरेज बैटरी, हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिये इलेक्ट्रोलाइजर तथा हाइड्रोजन को ऊर्जा (मोटिव और स्टेशनरी पावर) में बदलने को फ्यूल सेल बनाने के चार विशाल स्थापित करेगी लगाएगी। ये कारखाने गुजरात के जामनगर में लगाने की योजना है जहां कंपनी का तेल शोधन कारखाना लगा है।
उन्होंने कहा, ‘‘कंपनी ऑक्सीजन (हवा से) और हाइड्रोजन लेकर बिजली पैदा करने को लेकर फ्यूल सेल कारखाना लगाएगी। इस प्रक्रिया से कार्बन उत्सजर्न नहीं होता और एकमात्र उत्सर्जन जल वाष्प है, जो प्रदूषण नहीं फैलाता। इसके अलावा, हम इन कारखानों के कच्चे माल और अन्य जरूरी उत्पादों के विनिर्माण के लिये इकाइयां तथा जरूरी ढांचागत सुविधाओं में 15,000 करोड़ रुपये खर्च करेंगे।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘इस प्रकार, नए ऊर्जा कारोबार में हमारे अपने आंतरिक संसाधनों से कुल शुरूआती निवेश तीन वर्षों में 75,000 करोड़ रुपये (10 अरब डालर से अधिक) रुपये होगा।’’