अयोध्या में 9 नवंबर, 2019 को देश की सर्वोच्च अदालत के फैसले के बाद राम मंदिर के निर्माण को मंजूरी मिली। इस मंजूरी के बाद से ही अयोध्या लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। लोगों में यहां जमीन खरीदने की होड़ लगी हुई है। प्लॉट खरीदारों में स्थानीय विधायक, नौकरशाहों के करीबी रिश्तेदार बड़ी संख्या में शामिल हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस की एक पड़ताल में पता चला है कि अयोध्या में तैनात अधिकारियों से लेकर तमाम बड़े नेताओं में अयोध्या में जमीन खरीदने की होड़ मची है। रिपोर्ट के मुताबिक इन अधिकारियों के परिवारों ने शीर्ष अदालत के फैसले के बाद राम मंदिर स्थल के 5 किमी के दायरे में जमीन खरीदी।
जिसमें विधायक, महापौर, और राज्य ओबीसी आयोग के एक सदस्य हैं। डिवीजनल कमिश्नर, उप-मंडल मजिस्ट्रेट, पुलिस उप महानिरीक्षक, पुलिस के अंचल अधिकारी, राज्य सूचना आयुक्त के रिश्तेदारों को मिलाकर ऐसे 14 मामले प्लॉट लेने के सामने आए हैं।
साफ है कि अयोध्या में राम मंदिर बन जाने के बाद से अयोध्या का स्वरूप बदल जाएगा। ऐसे में यहां अभी से ही जमीन खरीदने में लोग तेजी दिखा रहे हैं। वहीं जमीन खरीदने में कथित अनियमितताओं के मामले भी सामने आए हैं। आरोप के मुताबिक दलित की जमीन पहले महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट को दान की गई फिर उसे अफसरों, नेताओं, विधायकों के नातेदारों और रिश्तेदारों ने औने-पौने दामों पर ले लिया।
खास बात यह है कि इस तरह की भूमि खरीद में जांच उन्हीं अधिकारियों द्वारा हो रही है जिनके रिश्तेदारों ने जमीन खरीदी।
किन लोगों ने ली जमीन: अयोध्या डिवीजनल कमिश्नर एम पी अग्रवाल के ससुर केशव प्रसाद अग्रवाल ने 10 दिसंबर, 2020 को बरहटा मांझा में MRVT से 31 लाख रुपये में 2,530 वर्ग मीटर खरीदा। वहीं उनके बहनोई आनंद वर्धन ने भी उसी दिन उसी MRVT से 15.50 लाख रुपये में 1,260 वर्ग मीटर खरीदा। गौरतलब है कि कमिश्नर की पत्नी अपने पिता की फर्म हेलमंड कॉन्ट्रैक्टर्स एंड बिल्डर्स एलएलपी में पार्टनर हैं।
हालांकि इस खरीदारी को लेकर एम पी अग्रवाल का कहना है कि इस बारे में उन्हें कुछ जानकारी नहीं है। उनके ससुर केशव प्रसाद अग्रवाल ने कहा, “हां, मैंने यह जमीन खरीदी है क्योंकि मेरी सेवानिवृत्ति के बाद अयोध्या में रहने की योजना है। इसमें श्री एम पी अग्रवाल की कोई भूमिका नहीं है।
विधायक इंद्र प्रताप तिवारी: अयोध्या जिले में गोसाईगंज से विधायक इंद्र प्रताप तिवारी ने भी 18 नवंबर 2019 को बरहटा मांझा में 2,593 वर्ग मीटर MRVT से 30 लाख रुपये में खरीदा। वहीं 16 मार्च 2021 को उनके बहनोई राजेश कुमार मिश्रा ने राघवाचार्य के साथ मिलकर सूरज दास से बरहटा माझा में 6320 वर्ग मीटर 47.40 लाख रुपये में खरीदा। राजेश कहते हैं कि इस जमीन खरीदारी का तिवारी से कोई लेना-देना नहीं है। यह मैंने अपनी बचत से खरीदा है।
मुख्य राजस्व अधिकारी: 20 जुलाई 2018 से 10 सितंबर 2021 तक अयोध्या के मुख्य राजस्व अधिकारी रहे पुरुषोत्तम दास गुप्ता के साले अतुल गुप्ता की पत्नी तृप्ति गुप्ता ने अमर जीत यादव नाम के एक व्यक्ति के साथ मिलकर 12 अक्टूबर 2021 को बरहटा मांझा में 1,130 वर्ग मीटर MRVT से 21.88 लाख रुपये में खरीद की। वहीं पुरुषोत्तम दास गुप्ता का कहना है कि एमआरवीटी के खिलाफ जांच में उनकी कोई भूमिका नहीं थी और उन्होंने अपने नाम पर कोई जमीन नहीं खरीदी थी।
पुलिस उप महानिरीक्षक (DIG): 26 जुलाई 2020 से 30 मार्च 2021 के बीच पुलिस उप महानिरीक्षक (DIG) के पद पर रहे दीपक कुमार जोकि अब अलीगढ़ के DIG हैं। उनकी पत्नी की बहन महिमा ठाकुर ने 1 सितंबर, 2021 को बरहटा मांझा में 1,020 वर्ग मीटर MRVT से 19.75 लाख रुपये में खरीदा था।
इस पर दीपक कुमार ने कहा कि अयोध्या में मेरी पोस्टिंग के दौरान मेरे किसी रिश्तेदार ने कोई जमीन नहीं खरीदी। मैंने, मेरी पत्नी या मेरे पिता ने वहां की किसी भी भूमि के लिए कोई पैसा नहीं दिया।
विधायक वेद प्रकाश गुप्ता: अयोध्या विधानसभा से विधायक वेद प्रकाश गुप्ता के भतीजे तरुण मित्तल ने 21 नवंबर 2019 को रेणु सिंह और सीमा सोनी से 1.15 करोड़ रुपये में बरहटा मांझा में 5,174 वर्ग मीटर जमीन खरीदी। 29 दिसंबर, 2020 को, उन्होंने जगदंबा सिंह और जदुनंदन सिंह से 4 करोड़ रुपये में मंदिर स्थल से लगभग 5 किमी दूर, सरयू नदी के पार अगले दरवाजे महेशपुर (गोंडा) में 14,860 वर्ग मीटर खरीदा।
SDM: अयोध्या में एसडीएम के पद पर रहे आयुष चौधरी की चचेरी बहन शोभिता रानी ने 28 मई 2020 को अयोध्या के बिरौली में 5,350 वर्ग मीटर को आसाराम से 17.66 लाख रुपये में खरीदा। 28 नवंबर, 2019 को शोभिता रानी द्वारा संचालित आरव दिशा कमला फाउंडेशन ने दिनेश कुमार से 7.24 लाख रुपये में अयोध्या के मलिकपुर में 1,130 वर्ग मीटर खरीदा।