Delhi News: दिल्ली में जब से रेखा सरकार आई है, कई कदम पहली बार उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में एक और बड़ा रिफॉर्म होने जा रहा है, दिल्ली के PWD डिपार्टमेंट को अपना खुद का इंजीनियर कैडर मिलने जा रहा है, अभी तक दिल्ली के सभी कामों के लिए सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट ही इंजीनियर नियुक्त करता था, लेकिन अब यह ताकत दिल्ली की सरकार के पास आने वाली है, वे खुद ही इंजीनियर नियुक्त कर पाएगी। अधिकारियों के मुताबिक इसे लेकर प्रस्ताव फाइनल हो चुका है और अब कैबिनेट के सामने पेश किया जाना है।

आखिर क्या रीफॉर्म होगा?

अगर यह प्रस्ताव ही पारित हो जाता है तब जो दिल्ली का PWD डिपार्टमेंट होगा, वो खउद ही हर लेवल पर इंजीनियर नियुक्त कर पाएगा। PWD मंत्री परवेश साहिब सिंह ने इसे लेकर बड़ी बात बोली है। वे कहते हैं कि यह सिर्फ दिल्ली PWD के लिए एक टर्निंग प्वाइंट नहीं है बल्कि पूरी राजधानी के लिए गेमचेंजर होगा। जब इंजीनियर अकेले दिल्ली के लिए जवाबदेह होंगे तो उनकी परफॉर्मेंस और कमिटमेंट दोनों बढ़ जाएगी। हम अब एक ऐसी दिल्ली का निर्माण कर रहे हैं जो मजबूत होगी, साफ होगी और तेज विकास वाली होगी, ऐसा करने के लिए हमे अपनी खुद की टीम चाहिए होगी।

बदलने क्या वाला है?

अधिकारी तर्क देते हैं कि अभी तक तो सेंटर की तरफ से इंजीनियर आते थे, ताकत भी उनके पास ही होती थी। लेकिन जब दिल्ली के अपना खुद का स्वतंत्र PWD कैडर होगा, उस स्थिति में दिल्ली सरकार के पास भी इन इंजीनियर्स को कंट्रोल करने की ताकत रहेगी। दिल्ली के नियमों के मुताबिक उन इंजीनियर्स को काम करना होगा, वे ऐसा करने के लिए बाध्य रहेंगे। इस बारे में एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को विस्तार से बताया है।

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पहले क्या चुनौती थी?

वे कहते हैं कि अभी तो हाल ऐसा है कि अगर कोई मंत्री या सरकार किसी इंजीनियर के खिलाफ एक्शन लेना चाहती है तो वो ऐसा कर नहीं सकती। उन्हें एलजी और सेंटर के PWD से परमीशन लेनी होती है, उसके बाद आगे कोई एक्शन हो पाता है। इसके ऊपर हर तीन साल में इंजीनियर्स का ट्रांसफर दिल्ली के बाहर कर दिया जाता है। इस वजह से कई प्रोजेक्ट लेट हो जाते हैं, उनकी रकम बढ़ जाती है। लेकिन अगर यह रीफॉर्म हो जाएगा तो दिल्ली के अंदर ही अधिकारियों का ट्रांसफर होगा। माना तो यह भी जा रहा है कि इस एक कदम की वजह से दिल्ली एमसीडी, DDA जैसी बॉडी के साथ बेहतर तालमेल बन पाएगा।

केजरीवाल पर उठे सवाल

अब अगर यह प्रस्ताव पारित हो जाएगा तो एक सवाल जरूर उठेगा, आखिर पिछले 10 सालों में केजरीवाल सरकार ऐसा कदम क्यों नहीं उठा पाई। समझने वाली बात यह है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सबसे बड़ी शिकायत ही यही थी कि अधिकारी काम नहीं करते, उन्हें हटा भी नहीं सकते। लेकिन अब जो नए रीफॉर्म की बात हो रही है, उसके बाद तो दिल्ली सरकार के पास काफी ताकत आ जाएगी।

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