बिहार में चुनावी पराजय के बाद भाजपा में असंतोष के स्वर अभी तक नहीं थमे हैं। शुक्रवार को पार्टी सांसद मनोज तिवारी ने भी पार्टी की रणनीति में खामी होने की बात कही जबकि बिहार के असंतुष्ट सांसद आरके सिंह ने जवाबदेही तय करने की आडवाणी जैसे वरिष्ठ नेताओं की मांग का समर्थन किया। सिंह ने कहा कि चुनावी पराजय की समीक्षा की जानी चाहिए। हमें यह पता लगाने की जरूरत है कि गलती कहां हुई, इसके लिए कौन जिम्मेदार है। चुनाव प्रचार के दौरान सिंह ने दावा किया था कि भाजपा ने ऐसे लोगों को टिकट दिया जिनकी आपराधिक पृष्ठभूमि थी।
उधर, मनोज तिवारी ने जद (एकी)-राजद-कांग्रेस गठबंधन की रणनीति की प्रशंसा करते हुए कहा कि कहा कि महागठबंधन की रणनीति हमसे बेहतर साबित हुई। इससे पहले पार्टी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा, हुकुमदेव नारायण यादव, भोला सिंह आदि ने भी पार्टी के चुनाव अभियान की आलोचना की थी।
हालांकि इस बीच केंद्र सरकार के दो वरिष्ठ मंत्रियों ने पार्टी के कुछ दिग्गज नेताओं के विरोध को शांत करने का प्रयास करते हुए कहा कि उनकी राय पर विचार किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी ने इस सुझाव को खारिज कर दिया कि लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, शांता कुमार और यशवंत सिन्हा जैसे दिग्गज नेताओं के खिलाफ अनुशासानात्मक कार्रवाई की जाए।
वहीं केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि वरिष्ठ नेताओं को अपने विचार सार्वजनिक तौर पर व्यक्त करने के बजाए पार्टी के मंच पर रखना चाहिए था। नायडू ने कहा कि भाजपा ‘इन विचारों और चिंताओं पर ध्यान देगी।’ नायडू ने कहा, ‘हार और जीत लगी रहती है। पार्टी ने कभी भी हार के लिए किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को जिम्मेदार नहीं ठहराया।’ पार्टी के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा की गतिविधियों समेत पार्टी की भीतरी राजनीति के बारे में बात करने पर अनिच्छा व्यक्त करते हुए नायडू ने कहा, ‘मैं पार्टी के भीतरी मामलों की मीडिया में चर्चा नहीं करता। पार्टी इस बात पर ध्यान रख रही है कि किसने क्या कहा।’ केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी भिन्न मत रखने वालों पर किसी तरह की कार्रवाई किए जाने की संभावना को नाकारा है।
आडवाणी-जोशी से मिले सिन्हा
बिहार चुनाव में हार को लेकर भाजपा के भीतर चल रही खींचतान के बीच उन दिग्गज नेताओं ने शुक्रवार को आपस में चर्चा की, जिन्होंने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ विरोध का बिगुल फूंका है। यशवंत सिन्हा ने लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से अलग-अलग मुलाकात की, जबकि शांता कुमार ने उन तक पहुंचने के पार्टी के प्रयासों का स्वागत करते हुए कहा कि ‘बातचीत जारी रहनी चाहिए।’