एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश में 63 बिलियन डॉलर के आवासीय प्रोजेक्ट अटके हुए हैं, जो कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए सिरदर्द साबित हो सकते हैं। एनारॉक प्रोपर्टी कंसल्टेंट की एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्जदाता कंपनियों ने नया लोन देना बंद कर दिया है, जिसके चलते आवासीय प्रोजेक्ट बीच में ही अटक गए हैं। देश में प्रॉपर्टी की कीमतों में गिरावट आयी है, इससे रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए नई मुसीबत खड़ी हो गई है।
इकॉनोमिक टाइम्स की एक खबर के अनुसार, रेडियस डेवलेपर्स के सीओओ आशीष शाह का कहना है कि देश में बैंकिंग सेक्टर में आयी कमजोरी के चलते रियल एस्टेट क्षेत्र में नकदी की कमी हो गई है। शाह के अनुसार, यह वक्त काफी अहम है क्योंकि मंदी रियल एस्टेट क्षेत्र को बुरी तरह से प्रभावित कर रही है।
रियल एस्टेट सेक्टर में कैसे गहराया संकटः दरअसल देश के अधिकतर डेवलेपर्स लोन के लिए नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनीज (NBFCs) पर निर्भर हैं, लेकिन बीते एक साल से कई बड़ी एनबीएफसी कंपनियां डिफॉल्ट होने के कागार पर हैं या फिर अन्य मुश्किलों में फंसी हैं। जिसका सीधा असर रियल एस्टेट सेक्टर पर पड़ा है। बता दें कि बड़ी एनबीएफसी कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विस लिमिटेड डिफॉल्ट हो चुकी है। वहीं एक और बड़ी एनबीएफसी कंपनी हाउसिंग डेवलेपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HDIL) भी दिवालिया होने के कागार पर है।
दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन भी मुश्किलों में फंसी है और उसने नए लोन देना फिलहाल बंद कर दिया है। एडेलवेज फाइनेंशियल सर्विस लिमिटेड और इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड जैसी बड़ी कर्जदाता कंपनियां भी अपनी फंडिंग को सीमित कर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इसका असर पारंपरिक बैंकों द्वारा की जाने वाली फंडिंग पर पड़ेगा, जिससे पहले से ही मंदी की मार झेल रही भारतीय अर्थव्यवस्था पर और दबाव पड़ सकता है।
खबर के अनुसार, केन्द्र सरकार ने एनबीएफसी कंपनियों और अन्य कर्जदाता कंपनियों में नकदी की समस्या दूर करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें बैंकों द्वारा इन कंपनियों को और लोन देने आदि जैसे कदम शामिल हैं। एनारॉक की रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दो सालों में एनबीएफसी कंपनियों द्वारा दिया गया 24 बिलियन डॉलर का लोन रियल एस्टेट डेवलेपर्स कंपनियों को गहरी परेशानी में डाल सकता है।