यूएस डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट जारी है। गुरुवार को एक डॉलर की कीमत 70.22 डॉलर तक पहुंच गई। लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन रुपये की कमजारी को लेकर चिंतित नहीं हैं। सीएनबीसी को दिए दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वह घरेलू मुद्रा के बारे में बहुत चिंतित नहीं है क्योंकि ” इसके पीछे की वजह रुपये की कमजोरी नहीं, बल्कि डॉलर की मजबूती है। भारत में एमर्जिंग मार्केट्स की स्थिति 2013 के मुकाबले काफी अच्छी है।” गुरुवार को भारतीय मुद्रा ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 70.08 के निम्नतम स्तर को छुआ, जबकि 2018 में लगभग 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। यह गिरावट तुर्की लिरा में गिरावट की वजह से आयी है, जो कि यूएस डॉलर को इस बात में मजबूती दिलाता है कि तुर्की में आर्थिक संकट दुनिया के अन्य वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में फैल सकता है।
राजन ने कहा कि, “रुपया कुछ समय के लिए असली शर्तों में मजबूत रहा है, जबकि मुद्रास्फीति दर मामूली रही है, लेकिन विश्व मुद्रास्फीति दर से ऊपर है। नतीजन रुपये के साथ मामूली कमजोर पड़ने की जरूरत है। इससे हालात बेहतर होंगे। इसलिए, मैं रुपये के बारे में बहुत चिंतित नहीं हूं कि यह अन्य समय ये ज्यादा गिर रहा है।” उन्होंने आगे कहा कि, “भारतीय करेंसी की कमजोरी डॉलर की मजबूती की वजह से है। इसकी और कोई वजह नहीं है। लेकिन, मैं कहना चाहूंगा कि निवेशकों को बड़े चालू खाता घाटे के साथ-साथ उच्च स्तर के ऋण वाले देशों को देखना चाहिए।”
इस साल डॉलर के मुकाबले लीरा ने अपने मूल्य का तीसरा हिस्सा खो दिया है क्योंकि नाटो सहयोगियों के बीच संबंधों को खराब करने के कारण मौद्रिक नीति पर राष्ट्रपति तैयिप एर्दोगन के प्रभाव पर चिंता की वजह से नुकसान में वृद्धि हुई है। खराब नीतियों की वजह से तुर्की में आर्थिक संकट बढ़ गया है। कई और देशों की हालत भी खराब है। तुर्की में करेंसी संकट बढ़ने के आसार हैं। डॉलर इंडेक्स की ऊंचाई और अमेरिका के फैसले की वजह से तुर्की में यह हालात बने हैं। तुर्की के मेटल इंपोर्ट ड्यूटी को अमेरिका ने दोगुना कर दिया है।