आरबीआई और केन्द्र सरकार के बीच जारी विवाद सुलझने के संकेत मिले हैं। सोमवार को दोनों पक्षों की हुई मैराथन बैठक के बाद विवाद सुलझने की बात कही जा रही है। बता दें कि यह बैठक सुबह से लेकर शाम तक चली और बैठक के दौरान कई ऐसे मदुदे थे, जिन्हें लेकर सहमति बनाने में काफी परेशानी हुई। बैठक से जुड़े एक सूत्र के अनुसार, बैठक के दौरान कई बार गरमा-गरम बहस भी हुई। बैठक में सबसे ज्यादा माथापच्ची दो विषयों को लेकर हुई। जिनमें एक मुद्दा था कि केन्द्रीय बैंक आरबीआई को अपने पास कितना रिजर्व रखना चाहिए? और दूसरा मुद्दा सरकार द्वारा आरबीआई एक्ट की धारा 7 का इस्तेमाल करना था। बता दें कि बीते दिनों केन्द्र सरकार ने आरबीआई एक्ट की धारा 7 का इस्तेमाल करते हुए जनहित के मुद्दों पर आरबीआई गवर्नर को निर्देश देने की बात कही थी।
बताया जा रहा है कि बैठक के दौरान वित्त मंत्रालय के अधिकारी और आरबीआई अधिकारी अपनी-अपनी बातों पर अड़े थे, जिसके चलते काफी देर तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका। इसके बाद शाम में दोनों पक्षों के बीच सहमति बनी। बैठक के बाद जो बातें निकलकर सामने आ रही हैं, उनके तहत दोनों ही पक्ष विवाद को सुलझाने के लिए एक कमेटी के गठन पर सहमत हो गए हैं। खबरों के अनुसार, सोमवार को हुई बैठक में आरबीआई अपने रिजर्व में से कुछ हिस्सा केन्द्र सरकार को हस्तांतरित करने पर राजी हो गया है। रिजर्व बैंक से मिले इस फंड को सरकार छोटे और मझोले उद्योगों को ऋण सहायता देने में इस्तेमाल कर सकती है।
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक खबर के अनुसार, रिसर्च एंड इंफोर्मेशन सिस्टम के निदेशक सचिन चतुर्वेदी ने बताया कि आरबीआई और सरकार के बीच चली बैठक के दौरान बड़ी मात्रा में डाटा को लेकर चर्चा हुई। चतुर्वेदी के अनुसार, ‘यह बैठक एक तरह से क्लासरुम की तरह थी, जिसमें हर कोई व्यक्ति देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए विवाद को सुलझाने का प्रयास कर रहा था।’
क्या है विवादः बता दें कि रिजर्व बैंक के पास 9.69 लाख करोड़ का आरक्षित कोष है। इस आरक्षित कोष में से 2.5 लाख करोड़ का आपात फंड है। इसके अलावा 6.91 लाख करोड़ रुपए का नकदी और स्वर्ण आरक्षित भंडार है। यह फंड रिजर्व बैंक ने आपात स्थिति के लिए रखा हुआ है। वहीं सरकार रिजर्व बैंक के इस रिजर्व में से कुछ हिस्सा देने, छोटे कारोबारियों के लिए कर्ज नियमों को उदार बनाने, कमजोर बैंकों के लिए नियमों में ढील देने की मांग कर रही है। अब सोमवार को हुई बैठक के बाद आरबीआई आगामी 22 नवंबर को बाजार में 8 हजार करोड़ की पूंजी डालेगा। बैठक के दौरान आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल, सभी डिप्टी गवर्नर और सरकार की तरफ से आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग और वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार और एस.गुरुमूर्ति समेत स्वतंत्र निदेशक भी शामिल हुए।