नौ घंटे तक चली मैराथन बैठक में रिजर्व बैंक और सरकार में कई दिनों से जारी तनातनी खत्म करने का रास्ता निकालने के कई बिंदुओं पर सहमति बनी। बाजार में पूंजी की तरलता बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक आठ हजार करोड़ रुपए डालेगा। 22 नवंबर को रिजर्व बैंक खुले बाजार से सरकारी बॉन्ड खरीदेगा। साथ ही, लघु व मझोले उद्यमों को कर्ज के नियम और आसान बनाए जाएंगे। लघु व मझोले उद्योगों को 25 करोड़ तक का कर्ज जारी किया जा सकेगा। रिजर्व बैंक और सरकार की एक संयुक्त कमेटी गठित की जाएगी, जो रिजर्व बैंक के आरक्षित कोष की पूंजी सरकार को जारी करने के रास्ते तैयार करेगी। इस बैठक में कई मुद्दों मसलन केंद्रीय बैंक को पूंजी की जरूरत, लघु व मझोले उद्यमों को कर्ज देने और कमजोर बैंकों के नियमों पर चर्चा की गई। इस बैठक में रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल और सभी डिप्टी गवर्नर, बोर्ड में सरकार द्वारा मनोनीत निदेशक शामिल हुए। सरकार की ओर से आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग, वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार और स्वतंत्र निदेशक एस गुरुमूर्ति ने वार्ता में हिस्सा लिया। बैठक के बाद रिजर्व बैंक ने 175 शब्दों का बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि बैंकों की पहले से गठित कमेटियां और नई संयुक्त कमेटी विभिन्न मुद्दों पर उपाय सुझाएगी।

बैठक में शामिल रिजर्व बैंक के दो आला अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि सरकार के अधिकारियों और गुरुमूर्ति ने केंद्रीय बैंक पर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को अधिक नकदी उपलब्ध कराने, छोटे कारोबारियों के लिए कर्ज नियमों को उदार करने, कमजोर बैंकों के लिए नियमों में ढील देने और रिजर्व बैंक के आरक्षित कोष में से कुछ राशि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन को देने के लिए उपलब्ध कराने को लेकर दबाव बनाया। रिजर्व बैंक ने सूक्ष्म, लघु व मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) के लिए कर्ज के नियमों को सरल करने पर सहमति जताई। लेकिन एनबीएफसी को नकदी के मुद्दे पर कमेटियां उपाय सुझाएंगी।

केंद्रीय बैंक बांडों की मुक्त बाजार के जरिए खरीदी पर तैयार हो गया, लेकिन बैंकों के लिए अपने पूंजी स्टॉक के नियमों में ढील देने के मुद्दे पर उसने विभिन्न कमेटियों से राय मांगी है। बैठक में रिजर्व बैंक के पास उपलब्ध 9.69 लाख करोड़ रुपए के आरक्षित कोष पर चर्चा हुई, जिसमें पूंजी स्टॉक नियमों की बात उठी। गुरुमूर्ति और वित्त मंत्रालय चाहते हैं कि केंद्रीय बैंक के पास उपलब्ध आरक्षित कोष की सीमा को वैश्विक स्तर के अनुरूप कम किया जाए। इस बैठक में टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन सहित रिजर्व बैंक के 10 स्वतंत्र निदेशकों में से अधिकतम स्वतंत्र निदेशक बैठक में शामिल हुए।