नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के आरोप में जेल में बंद महिला संगठन ‘पिंजरा तोड़’ की सदस्य नताशा नरवाल के पिता का एक इंटरव्यू सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। इस इंटरव्यू को एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने भी शेयर किया है। रवीश ने अपने फेसबुक पर इसका लिंक शेयर करते हुए कहा कि आम भारतीय का जीवन दुखों की यात्रा है, समाज जितना दुख देता है उससे अधिक सिस्टम देता है।
रवीश ने अपने पोस्ट में लिखा “क्या आप नताशा नरवाल के बारे में जानना चाहेंगे? उसके पिता के बारे में?एक लड़की का नाम है नताशा। जो महिलाओं के मुद्दे पर बोलने लगी थी। उन पिंजड़ों को तोड़ने के लिए जिनमें क़ैद की गई हैं। नताशा सिर्फ़ एक लड़की से नागरिक बनने लगी। बोलने लगी। दिल्ली में दंगे हुए तो इस लड़की पर भी साज़िश के आरोप के तहत क़ानून की संगीन धाराएँ लगा दी गईं। उसी नताशा के पिता की कहानी है।”
वरिष्ठ पत्रकार ने आगे लिखा “एक पिता तमाम दुखों से गुजरते हुए अपनी बेटी के साथ अकेला खड़ा है। जैसे उनकी बेटी औरतों के मसले पर अकेले बोलने लगी थी। एक आम भारतीय का जीवन दुखों की यात्रा है। समाज जितना दुख देता है उससे ज़्यादा सिस्टम देता है। इस इंटरव्यू को देखिए। काफ़ी कुछ सीखेंग। दूसरों के लिए। अपने लिए भी।”
वीडियो में नताशा के पिता महावीर नरवाल बताते हैं कि जिस साल नताशा की मां की मौत हुई थी। उसे साल उसने स्कूल में सबसे ज्यादा मार्क्स लाये थे। मैं उससे बहुत क्लोज़ हूं। महावीर बताते हैं कि जब 2004 में चुनाव हो रहे थे। उस वक़्त अटल बिहारी बाजपई प्रधान मंत्री थे। तब उन्होने कहा था कि हमें मुस्लिम्स के वोट नहीं चाहिए। यह सुनकर नताशा नाराज़ हो गई थी और उसने कहा था कि पापा ये तो बहुत गलत बात है। उस वक़्त वह 8वी या 9वी कक्षा में थी।
नताशा के पिता ने बताया कि जैसे जैसे वह बड़ी हुई महिलाओं से जुड़े मुद्दों में उसकी दिलचस्पी बढ़ने लगी। इसीलिए वह ‘पिंजरा तोड़’ कि सदस्य बनी। उनके पिता कहते हैं कि अगर समाज में महिलाएं आगे नहीं बढ़ेगी तो जुर्म बढ़ता जाएगा। औरतों का आगे आना बेहद जरूरी है।
रवीश के इस पोस्ट पर कई यूजर्स ने अपनी प्रतिकृया भी दी है। राजा सिंह नाम के एक यूजर ने लिखा “हमारे देश ने बुरे से बुरा वक़्त देखा है और उस बुरे वक़्त को पैरो के नीचे रौंदा भी है आज कुछ विनास्कारी ताकते अगर सत्ता काबिज है भी तो कोई दुख नही. ये बाँटने वाली राजनीति जायदा वक़्त नही चल सकती हमारे देश में. आज जो कैमरे की चकाचोध मे रह रहे है कल गुमनामी के अँधेरे मे ऐसे ढूब जाएँगे कि कोई बात पूछने वाला भी नही रहेगा और जो आज जी हज़ूरी मे लगे है उनको जवाब देना भी मुश्किल हो जायेगा और जो आज बोलने की हिम्मत दिखा रहे है उनका भविष्य उज्ज्वल होगा।”
एक यूजर ने लिखा “सरकार मुगल और अंग्रेजों के गुलामी काल के फार्मूले पर रिसर्च करके आगे बढ़ रही है आखिर इस देश की गूंगी बहरी जनता पर उन्होंने हजारों वर्ष तक साशन कैसे किया था।”
