केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक दिन पहले ही अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स की उस रिपोर्ट का खंडन किया था, जिसमें कहा गया था कि भारत में कोरोना से मौतों का आंकड़ा 42 लाख तक होगा। नीति आयोग के सदस्य ने इन आंकड़ों को झूठा बताते हुए रिपोर्ट को आधारहीन और फोन पर तैयार किया हुआ बताया था। अब इस पर एनडीटीवी के एंकर रवीश कुमार ने हमला किया है। रवीश ने अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए सरकार से पूछा कि अगर न्यूयॉर्क टाइम्स के आंकड़े झूठे हैं, तो क्या मोदी सरकार के आंकड़े सही हैं?
क्या बोले रवीश कुमार?: रवीश ने पोस्ट में कहा, “न्यूयार्क टाइम्स ने अलग अलग ज़रिये से आंकड़े लेकर बताया है कि भारत में कोविड से अब तक 42 लाख लोगों की मौत हुई होगा। इस पर सरकार भड़क गई है। नीति आयोग के सदस्य दो अपना कोई मॉडल न बना सके, इलाज का न आंकलन का, चले आए बताने की न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट आधारहीन है। जबकि इन्हें पता होना चाहिए कि गुजरात के ही अख़बार गुजरात समाचार, दिव्य भास्कर और संदेश ने श्मशान से रिपोर्टिंग कर सरकार के हर दावे को झूठा करार दिया है। उस पर चुप हैं लेकिन न्यूयार्क टाइम्स पर बोलने आ गए।
रवीश ने आगे कहा, पूरी तरह से फेल हो चुकी नकारी कोविड टास्क फ़ोर्स के इन सदस्यों को श्मशान से की गई रिपोर्टिंग को पढ़ना चाहिए और सोचना चाहिए कि वो खुद लाशों की गिनती को झुठला रहे हैं। अख़बार की जगह सरकार को दावा करना था कि उसके आंकड़े सही हैं। क्या ये सरकार मृत्यु के अपने आँकड़ों को सही बता सकती है? क्या भारत की जनता को पता नहीं कि सरकारी आंकड़े फ़र्ज़ी हैं। पूरी दुनिया के सामने थू थू से इन्हें परेशानी है लेकिन अपने देश के लोगों का नरसंहार हुआ और उनकी सही गिनती नहीं है इससे परेशानी नहीं है।”
सोशल मीडिया यूजर्स बोले- केंद्र नहीं बनाती आंकड़े, राज्य भेजते हैं: रवीश कुमार के इस पोस्ट पर सोशल मीडिया यूजर्स ने कई कमेंट्स किए। रवीश पर निशाना साधते हुए सुरेश मंडल नाम के यूजर ने कहा- “मतलब यह आंकडा भी केंद्र सरकार बता रही है क्योंकी राज्य सरकार आंकडे को सही भेजती है केंद्र सरकार के पास और फिर केंद्र सरकार उसे कम कर के दिखाती है। सारे राज्य अपने आंकड़े खुद ही बताते हैं।”
एक अन्य यूजर ने कहा, “कौन झूठा है ये बताने से अच्छा खुद जाकर लाइव रिपोर्टिंग करते फिर न्यूयॉर्क टाइम्स से तुलना करते आप। दूसरे का लिखा पोस्ट करते रहिए।” एक अन्य यूजर ने लिखा, “न्यूयॉर्क टाइम्स ने यह आंकड़े नही निकाले कि पूरे विश्व में कितना नरसंहार (बकौल आपके) हुआ है, यह आप बतला दीजिए कि कितना नरसंहार सम्पूर्ण विश्व में राजनेताओं ने किया है। कब तक बतलायेंगे?”
दूसरी तरफ कई यूजर्स ने रवीश के पोस्ट का समर्थन भी किया। संतोष रस्तोगी नाम के यूजर ने लिखा, “विदेशी मीडिया, गोदी मीडिया तो है नही। वह तो सच दिखाएगा ही। गरीबी ढकने को ये ऊंची दीवारे चुनवा देते है। अपनी खामियो को बड़प्पन में पेश करने के लिए टीवी पर अपात्रा को बिठा देते हैं जो जबरदस्ती जुबान से ही दूसरो को जलील कर के इनका सब चंगा सी का एहसास देश को करा देता है। कोरोना की दूसरी लहर इनके इम्तिहान का पर्चा था जिसमे ये पूरी तरह फेल हो चुके हैं और ये पूरा देश भी आज बखूबी जान चुका है।” वहीं राजेंद्र कुमार ने कहा, “गंगा किनारे शवों की रिपोर्ट आते ही आंकड़े छिपाने की कहानी सामने आई। न्यूयॉर्क टाइम्स का दावा सच है। भारतीय मीडिया गुलाम चपलचाट हो गया है।”

