मोदी सरकार ने इस साल फरवरी में गोवंश के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए ‘राष्ट्रीय कामधेनु आयोग’ के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। यह आयोग आयुष मंत्रालय के साथ मिलकर पंचगव्य दवाएं तैयार करने पर काम कर रहा है। ये पंचगव्य दवाएं गोमूत्र और गोबर आदि से तैयार किए जाते हैं। आयोग का दावा है कि अगर गर्भवती महिलाएं इन दवाएं का नियमित इस्तेमाल करेंगी तो वे ‘बेहद बुद्धिमान और स्वस्थ बच्चों’ को जन्म दे पाएंगी।
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के चेयरमैन वल्लभभाई कथीरिया ने अंग्रेजी वेबसाइट द प्रिंट से बातचीत में कहा कि दवाओं के निर्माण में गोमूत्र के अलावा गायों से मिलने वाले दूध, गोबर, घी और दही का इस्तेमाल किया जाएगा। कथीरिया गुजरात से बीजेपी सांसद भी रहे हैं। उन्होंने कहा कि शास्त्र और आयुर्वेद में भी पंचगव्य औषधि का जिक्र है, जो गाय से मिलने वाली पांच चीजों का मिश्रण है।
कथीरिया ने कहा, ‘शास्त्रों और आयुर्वेद में लिखा है कि अगर गर्भवती स्त्रियों इन दवाओं का सेवन करती हैं तो वे बेहद बुद्धिमान और स्वस्थ बच्चों को जन्म दे सकती हैं।’ कथीरिया ने बताया कि उन्होंने इन दवाओं के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए आयुष मंत्रालय से मदद मांगी है। उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय के अलावा हालिया गठित पशुपालन मंत्रालय की ओर से सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय से मदद मांगी जाएगी ताकि इन दवाओं का उत्पादन और मार्केटिंग किया जा सके।
कथीरिया ने कहा कि एक बार बड़े पैमाने पर दवाओं का उत्पादन शुरू होने के बाद वे गांवों में वैद्यों की नियुक्ति करेंगे, जो गर्भवती महिलाओं को ये दवाएं इस्तेमाल करने के लिए कहेंगे। आयोग के चेयरमैन ने बताया कि उनकी जिम्मेदारी देसी गायों की नस्लों के विकास और उनके संरक्षण की भी है। इसके लिए, 22 देसी नस्लों का चयन किया जा चुका है।
