आरआरटीएस परियोजना के तहत दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ गलियारे के पहले प्राथमिक खंड साहिबाबाद से दुहाई डिपो तक रैपिड रेल 15 अगस्त तक दौड़ सकती है। अधिकारियों के अनुसार निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।
आरआरटीएस परियोजना से जुड़े अधिकारियों के अनुसार यात्रियों को 160 किलोमीटर की तेज गति पर हर 5-10 मिनट पर रैपिड ट्रेन की सुविधा प्रदान की जाएगी। बिना रुके यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा जिससे 100 किलोमीटर की दूरी 45-50 मिनट के भीतर ही तय की जा सकेगी।
इस नेटवर्क को भारतीय रेलवे, अंतरराज्यीय बस अड्डों, हवाई अड्डों और दिल्ली मेट्रो के साथ निर्बाध रूप से समायोजित किया जाएगा ताकि यात्री बिना किसी बाधा के एक माध्यम से दूसरे जगह जा सके। अधिकारियों के अनुसार प्राथमिक खंड साहिबाबाद से दुहाई डिपो तक काम पूरा हो चुका है बस हरी झंडी का इंतजार है।
ट्रेन का परिचालन शुरू करने की तिथि तय होने के साथ ही किराए की भी घोषणा की जाएगी। प्राथमिक खंड में साहिबाबाद से दुहाई डिपो तक का 17 किलोमीटर लंबा क्षेत्र शामिल है। जिसमें साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई, दुहाई डिपो स्टेशन आते हैं। हालांकि प्राथमिक खंड के तहत इस मार्ग पर पहले ही शुरू किया जाना था।
तेजाब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध से इनकार
नई दिल्ली: अदालत ने गुरुवार को दिल्ली में तेजाब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से इनकार करते हुए कहा कि इससे उन कारोबार व लोगों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है जिन्हें वैध उद्देश्यों के लिए इसकी जरूरत पड़ती है।
उसने दिल्ली सरकार को तेजाब की बिक्री के लिए मौजूदा नियमों व नियमनों को सख्ती से लागू करने तथा अपराध के लिए इसके दुरुपयोग को रोकने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि इस मुद्दे पर लगातार सतर्कता तथा अति सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है। एक नियामक तंत्र मौजूद है लेकिन हमें लगता है कि और कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
दिल्ली जहर कब्जा और बिक्री नियम, 2015 में प्रावधान है जिसमें तेजाब की बिक्री ऐसे विक्रेताओं को करने की अनुमति दी गई है, जिन्हें लाइसेंस प्राधिकरण ने लाइसेंस दिया है। लाइसेंस केवल उन्हें दिया जाता है जो तय प्रावधानों का अनुपालन करते हैं। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा व न्यायमूर्ति संजीव नरुला की पीठ ने कहा कि इन प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए और राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तेजाब अपराधियों के हाथों में न जाए।