दिल्ली की एक अदालत ने बलात्कार के एक मामले में 12 वर्षीय पीड़िता के अलग अलग बयानों के बावजूद यह कहते हुए आरोपी को दोषी ठहराया है कि नाबालिग का आचरण बिल्कुल प्राकृतिक है क्योंकि ऐसे कटु अनुभव से गुजरी कोई भी लड़की उस घटना को याद नहीं करना चाहेगी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजय शर्मा ने कहा, ‘‘जिस पीड़ा और मानसिक कटु स्थिति से पीड़िता गुजरी होगी, उसे उसकी मासूम उम्र को ध्यान में रखकर समझा जा सकता है। अंत में जाकर ही उसे समझ में आया कि वह क्यों अलग अलग जवाब दे रही है यानी कि वह कभी इस घटना को याद करना चाहती ही नहीं थी। ’’
अदालत ने कहा, ‘‘कोई भी बच्ची, जो ऐसी मानसिक कटु स्थिति से गुजरी हो, कभी उसे याद करना नहीं चाहेगी क्योंकि यह तब और पीड़ादायक हो जाएगा तथा उससे भी आगे भविष्य में उसकी मनोस्थिति बिगड़ सकती है। इस तरह, परीक्षण के दौरान उसका आचरण अस्वभाविक नहीं बल्कि बिल्कुल स्वभाविक था। ’’
अदालत ने पीड़िता के पड़ोसी अशोक झा को भादसं की धाराएं 376 (2) (एफ) (12 साल से कम उम्र से बलात्कार), 451(घर में अवैध रूप से घुसना) और 506 (आपराधिक धौंसपट्टी) तथा बाल यौन अपराध रोकथाम अधिनियम की धारा चार :यौन हमला: के तहत दोषी ठहराया। वह सजा बाद में सुनाएगी।
यह नाबालिग लड़की 14 दिसंबर, 2012 को अपने घर में दोपहर को जब सो रही थी तब उसके साथ यह वारदात हुई। वह अपने दो भाई बहनों के साथ घर में थी, उसी दौरान झा आया और उसने उससे बलात्कार किया एवं जान से मार डालने की धमकी दी। पीड़िता की मां ने पुलिस में इस घटना की शिकायत की थी।