सत्ता में आने के बाद राजनीतिक पार्टियां पिछली सरकारों की योजनाओं और प्रोजेक्ट्स को बंद करने के लिए जानी जाती हैं। पर हाल ही में इस बात की बानगी राष्ट्रपति भवन में देखने को मिली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा शुरू किया गया स्मार्ट ग्राम प्रोजेक्ट उनके बाद देश के 14वें राष्ट्रपति बने रामनाथ कोविंद ने बंद करा दिया है। कोविंद के प्रेस सचिव ने इस बारे में बताया कि यह प्रोजेक्ट आगे जारी नहीं रखा जाएगा। आपको बता दें कि प्रणब मुखर्जी ने 19 मार्च, 2016 को यह प्रोजेक्ट शुरू करने से जुड़ा ऐलान किया था।
पोल्टू दा के कार्यकाल में इसे राष्ट्रपति भवन का प्रोजेक्ट बताया गया था। प्रोजेक्ट में हरियाणा के पांच गांव शामिल किए गए थे, जिनमें- ताजनगर, धौला, अलीपुर, हरचंदपुर और रोजका मेऊ हैं। पहल के तहत राष्ट्रपति भवन ने इन गांवों को गोद लिया था। खुद पूर्व राष्ट्रपति ने उस दौरान हरचंदपुर गांव को गोद लिया था। ‘ईटी’ की रिपोर्ट के अनुसार, मुखर्जी के बाद राष्ट्रपति कोविंद ने जुलाई 2017 में इस प्रोजेक्ट को जारी न रखने का फैसला लिया।
अंग्रेजी बिजनेस अखबार ने इस बारे में राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अशोक मलिक से बात की। उन्होंने बताया, “यह प्रोजेक्ट देश के 13वें राष्ट्रपति द्वारा शुरू किया गया था। पर मौजूदा राष्ट्रपति की ओर से इसे आगे जारी न रखने का फैसला लिया गया है।” सूत्रों की मानें तो नए राष्ट्रपति के सचिवालय को लगता है कि इस प्रोजेक्ट को आगे ले जाना ठीक नहीं होगा, जो कि एक ही राज्य तक सीमित हो।
मामले के जानकारों के मुताबिक, यह प्रोजेक्ट मुखर्जी के दिल के काफी करीब था। वह गांवों में विकास कर उन्हें फलते-फूलते और आदर्श स्थिति में आते देखने चाहते हैं, जहां लोगों के लिए बुनियादी सुविधाएं-संसाधन और आर्थिक अवसर उपलब्ध होने के साथ अन्य जरूरी चीजें भी हों।
मुखर्जी के राष्ट्रपति रहने के दौरान उनकी सचिव रहीं ओमिता पॉल ने अखबार को बताया कि 25 जुलाई, 2017 के बाद राष्ट्रपति भवन द्वारा इस संबंध में लिए गए किसी भी फैसले के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। ओमिता फिलहाल प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का नेतृत्व कर रही हैं।