पत्रकारिता के क्षेत्र में देश का प्रतिष्ठित पुरस्कार रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म अवॉर्ड्स का ऐलान किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद रहे। उन्होंने इस दौरान रामनाथ गोयनका अवॉर्ड्स जीतने वाले पत्रकारों को बधाई दी और स्वतंत्रता सेनानी रामनाथ गोयनका का जिक्र करते हुए एक पुराना किस्सा भी याद किया, जब इंडियन एक्सप्रेस अखबार पर कई तरह की अड़चने डालने के प्रयास किए गए थे।

इस कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में केंद्रीय नितिन गडकरी ने 1975 के इमरजेंसी का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा वक्त था कि जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि उस समय समाचार से लेकर बोलने तक की आजादी पर सेंशरशिप लगी थी लेकिन उस दौरान भी रामनाथ गोयनका ने इमरजेंसी के खिलाफ आवाज उठाई थी।

नितिन गडकरी ने इस दौरान रामनाथ गोयनका से मुलाकात का भी जिक्र क्या और कहा कि नानाजी देशमुख के चलते उन्हें रामनाथ गोयनका से मुंबई में मिलने का मौका मिला था। उन्होंने अपने जीवन में एथिक्स वर्सेज कन्वीनियंस का कन्फ्यूजन कभी होने ह नहीं दिया। उन्होंने लोकतंत्र के लिए खूब संघर्ष किया और लंबे वक्त तक यह यात्रा जारी रही।

लोकतंत्र में अहम है पत्रकारिता

नितिन गडकरी ने कहा कि हमारा लोकतंत्र चार स्तंभों पर खड़ा है, जिसमें विधायिका, न्यायपालिका कार्यपालिका के अलावा मीडिया की भी अहम भूमिका रही है। नितिन गडकरी ने उस समय का भी जिक्र किया जब एक्सप्रेस न निकले, इसके प्रयास किए गए थे और स्ट्राइक कराने का प्लान था। इस कठिन परिस्थिति में भी रामनाथ गोयनका कभी झुके या रुके नहीं थे।

विजेताओं के लिए कही ये बात

गडकरी ने कहा कि केवल जानकारी देना ही कोई बड़ा काम नहीं बल्कि पत्रकारिता में लोगों को जागरुक करना भी अहम है। उन्होंने कहा कि आज के वक्त में युवा पत्रकारिता में रुचि ले रहे हैं। देश तेजी से बदल रहा है और मीडिया की इसमें अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि जिस कैटेगरी में रामनाथ गोयनका अवॉर्ड्स दिए गए हैं वे सभी अहम हैं और बेहतरीन है। नितिन गडकरी ने कहा कि रामनाथ गोयनका किसी भी कीमत पर अपने मूल्यों और सिद्धातों से समझौता नहीं करते थे और यहीं उनकी सबसे बड़ी विशेषता रही है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को यह अवॉर्ड मिला है उन्हें रामनाथ जी से प्रेरणा लेनी चाहिए।

पत्रकारिता के लिए चुनौतियां

इस दौरान इंडियन एक्सप्रेस के चीफ एडिटर राजकमल झा ने भी कार्यक्रम में संबोधन किया। उन्होंने कहा कि इस दौरान हमने रामनाथ गोयनका अवॉर्ड के लिए 1313 आवेदन प्राप्त किए थे, जो कि 18 साल का रिकार्ड है। उन्होंने कहा कि यह वह दौर है कि जब लोग पत्रकारों की चिंता तक नहीं करते हैं। उन्होंने पत्रकारों के साथ राजनेताओं, जजों और अधिकारियों के व्यवहार को जिक्र करते हुए हैरानी जताई।

उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि आज के वक्त में कुछ मीडिया संस्थानों के मालिक घुटने कुछ यूं टेक चुके हैं कि जैसे अगर वे खड़े हुए तो उन्हें दिक्कत होगी। उन्होंने कहा कि यहां बिजनेस करने की आजादी तो मिल गई है लेकिन पत्रकारिता के लिए असहजता बढ़ती जा रही है।

राज कमल झा ने कहा कि उज्जवला, जनधन, बिजली, पानी और सड़क की अपेक्षा यह तय करना मुश्किल है कि कौन पत्रकारिता का लाभार्थी है। इसीलिए आज यह कार्यक्रम किया गया है जिसमें जनता से जुड़ी स्टोरीज को जगह मिली है। ये वो खबरें हैं जो कि जनता की आवाज को संसद और सत्ता तक ले जाने में मददगार साबित हुई हैं।