Ayodhya land dispute, babri masjid demolition, supreme court: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई चल रही है। मंगलवार को रामलला विराजमान के वकील ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के उस दावे को चुनौती दी, जिसमें कहा गया था कि आर्कियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की खुदाई में निकली 50 मीटर ऊंची दीवार एक ईदगाह की थी। रामलला के वकील ने बोर्ड से सवाल किया कि क्या ईदगाह को तोड़कर बाबरी मस्जिद बनाई गई थी?
रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने यह भी आरोप लगाया कि मुस्लिम पक्ष ने मामले को खींचने की कोशिश की। रामलला के वकील के मुताबिक, ट्रायल के दौरान एक गवाह से यहां तक पूछा गया कि ‘राम के जन्म के वक्त प्रसूति कक्ष कहां था?’ वैद्यनाथन ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने चल रही सुनवाई के दौरान पूछा, ‘क्या वे यह कहना चाहते हैं कि ईदगाह को गिराकर बाबरी मस्जिद बनाई गई थी?’
बता दें कि अयोध्या केस पर सुनवाई कर रहे जजों में जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस अब्दुल नजीर आदि भी शामिल हैं। इस मामले में 30 सितंबर 2019 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर यह बेंच सुनवाई कर रही है। हाई कोर्ट ने विवादित भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांट देने का आदेश दिया था।
वैद्यनाथन के मुताबिक, वक्फ बोर्ड ने इससे पहले कभी यह दावा नहीं किया कि बाबरी मस्जिद के नीचे कोई ढांचा है या और इसे खाली जमीन पर बनवाया गया था। वहीं, इसके विपरीत रामलला की ओर से 1989 में दाखिल केस में कहा गया है कि मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया था।
रामलला विराजमान की इन दलीलों पर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ‘एएसआई की खुदाई के बाद ही ईदगाह पर सवाल सामने आए।’ हालांकि, वैद्यनाथन ने अपने तर्क देने जारी रखे और कहा कि ‘मुस्लिमों ने अपना रुख बदल लिया’ जब उन्हें एहसास हुआ कि एएसआई की जांच में एक दीवार मिली है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
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