योगगुरु रामदेव ने जब कोरोना की दवाई लॉन्च की थी तो इसको लेकर काफी बवाल हुआ। भारत में पतंजलि की कोरोनिल को कोरोना के इलाज के लिए मान्यता नहीं दी गई। यहां तक कि डॉक्टरों के संगठन ने इसका विरोध भी किया था। WHO ने भी रामदेव की कोरोनिल को मान्यता नहीं दी थी। अब केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक इस कोरोनिल किट को लोगों में बंटवा रहे हैं।

शिक्षा मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा, ‘हरिद्वार के 2500 कोविड मरीजों को उनके सामान्य रूप से चल रहे इलाज के साथ कोरोनिल भी दिया जाए।’ बता दें कि कोरोना के इलाज की गाइडलाइन में ICMR ने कोरोनिल का कोई जिक्र नहीं किया था। इसके बाद 17 मई को जारी की गई संशोधित गाइडलाइन में भी पतंजलि की इस दवा को जिक्र नहीं किया गया। अब सवाल यह है कि जब सरकार की तरफ से इस दवा को मान्यता नहीं की गई तो सरकार के मंत्री इसे बंटवा क्यों रहे हैं?

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बता दें कि जब रामदेव ने यह दवा लॉन्च की थी तो उनके साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और नितिन गडकरी भी मौजूद थे। बाद में विपक्ष ने सवाल पूछे थे कि जो दवाई प्रामाणिक नहीं है, उसकी लॉन्चिंग में सरकार के लोग क्या कर रहे थे? हालांकि रामदेव की पतंजलि ने दावा किया था कि इसे WHO ने गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस का सर्टिफिकेट दिया। बाद में WHO ने खुद इस बात से इनकार कर दिया।

रामदेव अब भी इस दवा को कोरोना के खिलाफ कारगर बताते हैं औऱ दावा करते हैं कि यह इम्युनिटी बढ़ाने का काम करती है। जब WHO ने साफ-साफ कह दिया कि उसने किसी पारंपरिक औषधि को कोरोना के खिलाफ मान्यता नहीं दी तो पतंजलि आयुर्वेद के स्वामी बालकृष्ण ने सफाई देते हुए कहा था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन किसी भी दवा को मंजूरी देने या ख़ारिज करने का काम नहीं करता है।

बता दें कि यह दवा पारंपरिक रूप से इस्तेमाल होने वाली जड़ी-बूटियों का मिश्रण है। रामदेव का कहना था कि इसके साथ श्वासारि लेने से सांस की दिक्कत नहीं होती है। भारत सरकार ने भी इस दवा की मार्केटिंग पर यह कहकर रोक लगा दी थी कि इसे कोरोना के इलाज के रूप में प्रचारित नहीं किया जा सकता। हालांकि इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर यह आज भी मार्केट में मिल रही है।