कल अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है। लंबी कानूनी लड़ाई और ऐतिहासिक अध्याय कि ये कहानी कल के दिन के साथ एक बड़ा मोड़ लेने वाली है। कल होने वाले इस कार्यक्रम से पहले आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने कड़वाहट को मिटाने, विवाद और संघर्ष को खत्म करने का आह्वान किया है।
मोहन भागवत ने कहा कि राम मंदिर का अभिषेक भारतवर्ष के पुनर्निर्माण के अभियान की शुरुआत है। संघ प्रमुख ने कहा कि 22 जनवरी के भक्ति उत्सव में मंदिर के पुनर्निर्माण के साथ-साथ हम सभी ने भारत के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया है और इसके माध्यम से हमने दुनिया को बदलने का संकल्प लिया है।
तुष्टीकरण की राजनीति पर बयान
आरएसएस प्रमुख ने राम मंदिर के मुद्दे पर चली लंबी कानूनी लड़ाई और संघर्ष के लिए तुष्टीकरण की राजनीति को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, “आजादी के बाद जब सर्वसम्मति से सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया, ठीक इस ही तरह राम जन्मभूमि की मुक्ति को लेकर भी ऐसी ही सर्वसम्मति पर विचार किया जा सकता था, लेकिन राजनीति की दिशा बदल गई। भेदभाव और तुष्टीकरण जैसे स्वार्थपूर्ण राजनीति के रूप प्रचलित हो गए और इसलिए यह प्रश्न जस का तस बना रहा।”
मोहन भागवत ने आगे कहा,“इस मुद्दे पर सरकारों ने हिंदू समाज की इच्छाओं और भावनाओं पर भी विचार नहीं किया। आजादी के पहले से चली आ रही इससे जुड़ी कानूनी लड़ाई चलती रही। राम जन्मभूमि की मुक्ति के लिए जन आंदोलन 1980 के दशक में शुरू हुआ और 30 वर्षों तक जारी रहा।”
मोहन भागवत ने की अपील
संघ प्रमुख ने 1857 की क्रान्ति के बाद से अब तक चले मंदिर आंदोलन पर बात करते हुए कहा कि लोगों को अपने जीवन में राम के मूल्यों को अपनाना चाहिए। जहां ईमानदारी, ताकत और बहादुरी के साथ क्षमा, विनम्रता और सभी के साथ व्यवहार में नम्रता होनी चाहिए। यही श्री राम के मूल्य हैं।