Ram Mandir Case: आयोध्या  राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को 9वें दिन सुनवाई की गई। इस दौरान बहस की शुरुआत रामलला विराजमान की तरफ से शुरू हुई।  बहस के दौरान वरिष्ठ वकील सी एस वैधनाथन ने एक दिलचस्प दलील सामने रखी उन्होंने कहा कि अयोध्या के भगवान रामलला नाबालिग हैं और नाबालिक की संपत्ति को ना ही कब्जाया जा सकता है और नहीं बेचा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि ‘जन्मस्थान अगर देवता है तो फिर कोई भी वहां  बाबरी मस्जिद होने के आधार का दावा नहीं कर सकता है। अगर वहां पर मंदिर था और लोग पूजा करते आए हैं तो वह जन्मस्थान खुद में देवता है।ऐसे में उस जमीन को लेकर कोई अपना दावा पेश नहीं कर  सकता। इसके बाद  उन्होंने कहा कि यदि मान भी लिया जाए कि वहां कोई मंदिर नहीं था कोई मस्जिद नहीं थी तो भी  लोगों का विश्वास ही काफी है कि राम जन्मभूमि पर ही  भगवान का जन्म  हुआ था।

राम जन्मभूमि की संपत्ति के लिए वकील ने दलील देते हुए कहा कि अयोध्या के भगवान रामलला नाबालिग हैं और नाबालिग की संपत्ति को ना ही बेचा जा सकता है और ना ही छीन जा सकता है। जब उस संपत्ति में ही भगवान हैं तो फिर कैसे कोई उस संपत्ति को ले सकता है। वकील ने आगे कहा कि ऐसी संपत्ति पर एडवर्स पजेशन का कानून लागू नहीं होगा।

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गौरतलब है बता दें कि साल 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में 14 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या का 2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन हिस्सों में समान बांट दिया जाए। पहला-सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा- निर्मोही अखाड़ा और तीसरा- रामलला विराजमान को सौंपा जाना चाहिए। हालांकि इस फैसले पर असहमति के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में आया।