प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (5 अगस्त, 2020) को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी। भूमि पूजन से ठीक 15 घंटे पहले यानी मंगलवार की रात ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने एक विवादित ट्वीट किया जो सोशल मीडिया में खूब वायरल हुआ। इसमें कहा गया कि बाबरी मस्जिद थी और हमेशा रहेगी।
ट्वीट में कहा गया कि ‘बाबरी मस्जिद थी और हमेशा एक मस्जिद ही रहेगी। हागिया सोफिया हमारे सामने एक बड़ा उदाहरण है। दमनकारी, शर्मनाक, अन्यायपूर्ण और बहुमत को खुश करने वाले फैसले के जरिए जमीन का अपहरण कर लेने से बाबरी मस्जिद की स्थिति नहीं बदल जाएगी। दुखी होने की जरूरत नहीं क्योंकि स्थितियां हमेशा एक जैसी नहीं रहती हैं।’
हागिया सोफिया तुर्की की एक विशाल एतिहासिक इमारत हैं जो पूर्व में म्यूजियम था जिसे वहां की सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मस्जिद में तब्दील कर दिया। माना जाता है कि म्यूजियम को मस्जिद में बदलने के लिए कट्टर धार्मिक छवि वाले राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हागिया सोफिया का निर्माण एक चर्च के रूप में हुआ और 1453 में इस्लामी ऑटोमन साम्राज्य के शहर पर कब्जे के बाद इसे मस्जिद में बदल दिया गया। हालांकि बाद में मुस्तफा कमाल पाशा के नेतृत्व वाली सरकार ने साल 1934 में इस मस्जिद से म्यूजिम तब्दील कर दिया था। पाशा धर्म की जगह पश्चिमी मूल्यों को ज्याता तवज्जों देते थे।
https://twitter.com/AIMPLB_Official/status/1290666820089913344
मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के अलावा मंदिर निर्माण पर AIMIM चीफ और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी प्रतिक्रिया दी। बुधवार को ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी इंशाअल्लाह। बाबारी जिंदा है। ओवैसी ने ट्वीट के साथ दो तस्वीरें भी शेयर कीं, जिसमें एक तस्वीर बाबरी मस्जिद की है और दूसरी तस्वीर मस्जिद का ढांचा गिराए जाने के समय की है।
इधर सोशल मीडिया यूजर्स इन ट्वीट्स पर जमकर प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। हर्शिल मेहता @MehHarshil लिखते हैं, ‘कोर्ट की आवमानना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट कार्यवाही क्यों नहीं कर रहा हैं?’ राष्ट्रभक्त @SatishM81957227 नाम से ट्विटर यूजर् लिखते हैं, ‘बाहर से देखने में जो भी हो इन सबके अंदर जहर भरा हुआ है। कांग्रेस ने हिंदुओं को मूर्ख बनाया है कभी गंगा जमुनी तहजीब के नाम पर कभी ईश्वर अल्लाह तेरो नाम की आड़ में, लेकिन अब ये सब एकतरफा धर्मनिरपेक्षता चलने वाली नहीं है।’
इसी तरह अब्दुल कादिर @ALeelwala लिखते हैं, ‘आप सभी मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।’ एक यूजर @tranquil_lake30, ‘जब इस्लामिक देशों में बहुमत के अनुकूल फैसले हो रहे हैं, तो वो निष्पक्ष हैं लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। हागिया सोफिया 900 सालों तक चर्च रहा। ये एक चर्च ही क्यों नहीं होना चाहिए था? ये पाखंड क्यों? शर्म आनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि ने पिछले साल दशकों पुराने मुद्दे का समाधान करते हुए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था।