जम्मू कश्मीर विधानसभा राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा भंग किए जाने के बाद आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है। बीते दिन अचानक असेम्बली भंग करने के फैसले पर गुरुवार को राज्यपाल मलिक ने सामने आकर  सफाई दी। उन्होंने कहा, होर्स ट्रेडिंग और विधायकों को डराए-धमकाए जाने की शिकायतें बीते करीब दो हफ्ते से मिल रही थीं। यह सब जानकारी होने के बाद किसी को सरकार बनाने का मौका नहीं दे सकता था। अब इसी मुद्द पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राममाधव का बयान आया है। राम माधव ने कहा कि राज्य में गठबंधन की सरकार बनाने का निर्देश सीमा पार से आया था।

राज्यपाल के विधानसभा भंग किए जाने से कुछ समय पहले ही पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने का दावा पेश किया था। तीनों ही पार्टियों द्वारा गठबंधन की सरकार बनाने की कोशिश पर राम माधव ने कहा कि, पीडीपी और एनसी ने पीछले महीने हुए लोकल बॉडी के चुनाव से किनारा कर लिया था क्योंकि उन्हें बॉर्डर के उस पार से ऐसा करने को कहा गया था। पूरी संभावना है कि इस बार भी उन्हें सीमा पार से एक साथ आने और सरकार बनाने को कहा गया हो।

राम माधव के इस बयान के बाद बवाल भी शुरू हो गया है। नेशनल कांफ्रेंस के नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला ने राम माधव को चैलेंज देते हुए कहा है कि, बीजेपी नेता का पाकिस्तान से आए निर्देश वाला बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं उन्हें और उनकी पार्टी को सबूतों के साथ इस बयान को साबित करने का चैलेंज देता हूं। उनके इस बयान से हमारे पूर्वजों की अपमान हुआ है जिन्होंने पाकिस्तान के निर्देशों को ठुकरा कर मरना ज्यादा मुनासिब समझा।

बता दें कि, राज्यपाल मलिक ने देर रात तत्काल प्रभाव से विधानसभा भंग कर दी थी। मलिक पर इस फैसले के बाद पक्षपात के आरोप भी लगे। इस पर सफाई देते हुए राज्यापाल ने कहा, उन्होंने कहा, बीते करीब दो हफ्ते से मुझे होर्स ट्रेडिंग और विधायकों को डराए-धमकाए जाने की शिकायतें आ रही थीं। दूसरे पक्ष ने कहा कि बहुत बड़े पैमाने पर रुपए बांटने की तैयारी है। यह सब बता होने के बाद मैं किसी को सरकार बनाने का मौका नहीं दे सकता।

मलिक ने चार मुख्य वजहें विधानसभा भंग करने के के पीछे बताई थीं। इसमें बड़े स्तर पर खरीद फरोख्त का शक, अगल विचारधारा वाली राजनीतिक पार्टियों के साथ आने के बावजूद स्थिर सरकार बनाना मुश्किल जैसे कारण गिनाए थे।