भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता राम माधव के नाम की चर्चा इन दिनों जोर-शोर से हो रही है। ऐसी चर्चा है कि उन्हें जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल बनाया जा सकता है। हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा गर्म है। राम माधव की कश्मीर मामलों पर गहरी समझ और अनुभव को देखते हुए, ऐसा माना जा रहा है कि उन्हें यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। कुछ अन्य प्रदेशों में भी नए राज्यपालों की नियुक्तियां की जा सकती हैं।
राज्य में उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में बनी है नई सरकार
जम्मू-कश्मीर में हाल ही में विधानसभा चुनाव हुए हैं। बुधवार को वहां नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में नई सरकार ने सत्ता भी संभाल ली। भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव की रणनीति तैयार करने के लिए राम माधव को महत्वपूर्ण भूमिका में रखा था। वह पार्टी के लिए कश्मीर में हमेशा से एक महत्वपूर्ण चेहरा रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर के मामलों में राम माधव की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने पीडीपी और बीजेपी के गठबंधन में मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। धारा 370 को हटाने की योजना भी उनके मार्गदर्शन में तैयार की गई थी, जो कश्मीर के इतिहास में एक बड़ा बदलाव साबित हुआ। उनका अनुभव और समझ कश्मीर के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में 22 अगस्त 1964 को जन्म राम माधव ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। वह पहले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े और पूर्णकालिक कार्यकर्ता बने। संघ से ही वह भारतीय जनता पार्टी में प्रवेश किए और धीरे-धीरे बड़े राजनीतिक पदों पर काबिज हुए। उनका सियासी अनुभव कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर राज्यों तक फैला हुआ है।
वह एक नेता, लेखक और विचारक के रूप में चर्चित रहे हैं। उन्होंने कई महत्वपूर्ण किताबें लिखी हैं, जो राजनीति और सामाजिक विषयों पर आधारित हैं। वह थिंक टैंक ‘इंडिया फाउंडेशन’ के अध्यक्ष भी हैं और कई वैश्विक मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। हाल ही में उन्होंने धर्म-20 फोरम में भी भाग लिया था, जो जी-20 का हिस्सा था।
राम माधव का अंतरराष्ट्रीय अनुभव भी काफी विस्तृत है। उन्होंने रूस, सिंगापुर, इंडोनेशिया, कनाडा और चीन जैसे देशों में कई महत्वपूर्ण मंचों पर भारत का पक्ष रखा है। चाहे वह सुरक्षा के मुद्दे हों या फिर वैश्विक राजनीति के, राम माधव ने हर बार अपनी बेबाक राय रखी है।