किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि किसानों को अपनी फसल बर्बाद नहीं करनी चाहिए। उनका कहना है कि आंदोलन को मजबूत करने के लिए किसानों से कहा गया था कि वो अपनी फसल को काटकर रख लें। लेकिन लगता है कि अब टिकैत की अपील काम नहीं आ रही है। हरियाणा, पंजाब और प. यूपी में जिस तरह से किसान अपनी फसलों को नष्ट कर रहे हैं, उसे देखकर लग रहा है कि किसान उनकी बात नहीं सुन रहे।

टिकैत का कहना है कि किसान फसल को नष्ट करने की बजाए उन्हें गरीबों को दान कर दें। अन्न को खराब करना सरासर गलत है। टिकैत ने पहले कहा था कि किसान अपनी फसल को बर्बाद कर देगा, लेकिन आंदोलन को कमजोर नहीं पड़ने देगा। हालांकि उनके इस बयान से संयुक्त किसान मोर्चा ने किनारा कर लिया है। किसान संगठन किसानों से फसल को तबाह नहीं करने की अपील कर रहे हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा राकेश टिकैत के उस बयान से भी किनारा कर रहा है, जिसमें 40 लाख ट्रैक्टरों के साथ दिल्ली कूच करने की बात की गई थी। मोर्चा के नेताओं ने इसे टिकैत का निजी बयान बताते हुए कहा कि अभी ऐसी कोई रणनीति नहीं है। फिलहाल मोर्चा के 27 फरवरी तक के कार्यक्रम तय हैं। अगली रणनीति 28 फरवरी को होने वाली बैठक में तय की जाएगी। तभी तय होगा कि अगले 15 दिनों के क्या कार्यक्रम रखे जाएं।

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले टिकैत ने एक किसान महापंचायत में किसानों से आंदोलन को मजबूती देने का आह्वान किया था। उनका कहना था कि हमारा अगला आह्वान संसद मार्च के लिए होगा। अगर कृषि कानून वापस नहीं लिए जाएंगे तो इस बार 4 लाख नहीं बल्कि 40 लाख ट्रैक्टर दिल्ली में जाएंगे। उन्होंने यह अपील भी की थी कि जरूरत पड़ने पर किसान विरोध स्वरूप फसलों को भी नष्ट कर दें।

उनके इस बयान के बाद उत्तर प्रदेश, हरियाणा सहित कई अन्य राज्यों से किसानो के द्वारा अपनी फसलों को बर्बाद करने की खबरें आ रही है। इससे पहले राकेश टिकैत ने राजस्थान के सीकर में किसानों की महापंचायत को संबोधित करते हुए चेतावनी देते हुए कहा था कि इस बार ट्रैक्टर लाल किले पर नहीं संसद में जाएंगे और किसान दिल्ली के पार्कों में खेती करेंगे। उन्होंने ऐसा कहकर मोदी सरकार को सीधी चुनैती दी थी।