गणतंत्र दिवस की हिंसा के बाद राकेश टिकैत के आंसुओं ने आंदोलन का रुख ही बदलकर रख दिया। जहां एक दिन तेजी से किसान अपने गांव लौटने लगे थे वहीं दूसरे ही दिन फिर से हजारों ट्रैक्टर आंदोलन स्थल पर वापस आ गए। ABP न्यूज पर इंटरव्यू के दौरान सुमित अवस्थी ने जब टिकैत के आंसुओं पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा, ‘यह किसान का आंसू था।’ अवस्थी ने कहा, आपके भावुक होने के बाद सारे नेता पीछे छूट गए और राकेश टिकैत बड़े हो गए। टिकैत ने कहा, ऐसा नहीं है। सारे नेता बड़े हैं। अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

राकेश टिकैत ने कहा, क्या गुंडों से आंदोलन खत्म करवाया जाएगा। यह बर्दाश्त नहीं होगा। उन्होंने कहा, सब एक हैं, हमारे बीच कोई दिक्कत नहीं है। महापंचायतों के बारे में सवाल करने पर टिकैत ने कहा, ये जाटों के पंचायतें नहीं हैं। मुझपर कहीं जाना बैन नहीं है। मैं किसी भी राज्य में जाकर सभा में शामिल हो सकता हूं। राकेश ने कहा, आप लोगों की मजबूरी है। फिर भी जितना कर रहे हैं, बहुत अच्छा है।

गणतंत्र दिवस हिंसा के बारे में टिकैत ने कहा, दस्तखत करने के बाद उसी जगह पर बैरिकेडिंग कर दी गई। जो रास्ता दे दिया गया उसी पर रोक लगा दी गई। ऐंकर ने पूछा, 26 जनवरी के बाद लगा कि प्रोटेस्ट खत्म हो रहा है। शाम होते-होते आप रोने लगे, इतना मजबूत आदमी रोता क्यों है?

राकेश टिकैत ने जवाब दिया, यह पूरा प्रकरण यह था। उस टाइम वहां दो हजार लोग थे। 26 तारीख को लोगों ने पूरी ताकत लगा दी। ट्रैक्टर वापस जाने लगे तो लोगों को लगा आंदोलन खत्म हो रहा है। पुलिस लाठी चलाए तो कोई दिक्कत नहीं है। अंदर किसान, उसके पूछे गुंडे. उसके पीछे पुलिस और फिर बैरिकेडिंग। तो क्या गुंडों से आंदोलन खत्म करवाया जाएगा? यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राकेश टिकैत ने कहा, मैं बड़ा नहीं बना। सब वही हैं और हमारा ऑफिस भी वहीं है।