नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली से सटे बॉर्डर पर पिछले करीब 3 महीने से प्रदर्शन जारी है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने ‘बापू और हनुमान’ को ‘आंदोलनजीवी’ बताया था। टिकैत के इस बयान पर अयोध्या के महंतों ने आपत्ति जताई है। बीकेयू नेता ने कहा था कि कुछ लोग हमको आंदोलनजीवी कहते हैं। सबसे बड़े आंदोलनजीवी तो ‘हनुमान जी’ थे। महात्मा गांधी भी आंदोलनजीवी थे।

इसपर अयोध्या के महंतों ने राकेश टिकैत से माफी मांगने को कहा है। इसपर टिकैत ने कहा “प्रधान मंत्री मांगे माफी, महातमा गांधी, हनुमान, सरदार भगत सिंह सब आंदोलनकारी थे। हनुमान जी की कोई रिश्तेदारी थी श्रीलंका में ? नहीं ना, दूसरों के काम के लिए गए थे। औरत किसी की गई और पूछ हनुमान जी की जाली। तो वे भी ‘आंदोलनजीवी’ हुए ना, तो जिसने ‘आंदोलनजीवी’ कहा है माफी भी वही मांगे और श्रीराम तो हमारे वनसाज थे। इनका क्या मतलब है इन सब से।”

किसान आंदोलन की गूंज अब जल्द ही पश्चिम बंगाल में भी सुनाई देने लगेगी। किसान संगठनों ने फैसला किया है कि बंगाल में पंचायतें की जाएंगी। रोहतक जिले के सांपला में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश अब एक साथ खड़ा है और आने वाले दिनों में पूरे देश में पंचायतें की जाएंगी, साथ ही बंगाल में भी पंचायत करेंगे।

राकेश टिकैत ने कहा कि श्री राम रघुवंशी थे और हम उनके वंशज हैं, भाजपा का श्रीरामचंद्र जी से कोई लेना देना नहीं है। जहां तक महात्मा गांधी व हनुमानजी को आंदोलनजीवी कहने का उनका बयान है, वे उस पर कायम हैं और माफी उन्हें नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मांगनी चाहिए।

टिकैत ने कहा कि ये जिस तरह के कानून हैं, उससे आम जनता ही नहीं पशु भी भूखे मर जाएंगे। साथ ही टिकैत ने ऐलान किया कि पश्चिम बंगाल में भी किसान काफी दुखी है, वहां भी पंचायतें होंगी। वहीं, गुरनाम चढूनी ने भी बंगाल चुनाव में किसान आंदोलन को समर्थन न करने वालों के खिलाफ वोट डलवाने की बात कही और कहा कि बंगाल में भी पंचायतें की जाएंगी।