तीन कृषि कानूनों को लेकर पिछले एक साल से चल रहा किसानों का आंदोलन अब समाप्त होने जा रहा है। सरकार ने किसानों की बात मान ली है। शुक्रवार को सरकार इसे लिखित तौर पर दे देगी। इसके साथ ही आंदोलन की समाप्ति की घोषणा हो जाएगी। यह बात भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने गुरुवार को संवाददाताओं से बात करते हुए कही। उन्होंने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के पांच लोग सरकार के पास जाएंगे। उनसे बातचीत होगी, वहां से पक्के पेपर (Letter-Head) पर लिखित में इसे लेंगे और उसके बाद आंदोलन खत्म करने का ऐलान करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की पांच सदस्यीय समिति के सदस्य अशोक धवले भी इस मौके पर मौजूद रहे।

मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए टिकैत ने यह भी कहा, “एसकेएम कागज में लिखित आश्वासन पाने के बाद ही आंदोलन खत्म करने की घोषणा करेगा। साथ ही अगर सरकार अपनी बातों से पीछे हटी तो फिर आंदोलन होगा।”

इससे पहले बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा था कि उनकी लंबित मांगों को लेकर केन्द्र के संशोधित मसौदा प्रस्ताव पर आम सहमति बन गई है। हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेताओं ने सरकार से ‘लेटरहेड’ पर औपचारिक संवाद की मांग की है।

किसान नेता और एसकेएम कोर समिति के सदस्य गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि लंबित मांगों के संबंध में केन्द्र सरकार की ओर से पहले प्राप्त हुआ प्रस्ताव का मसौदा स्वीकार करने योग्य नहीं था, जिसके बाद केन्द्र ने बुधवार को नये सिरे से प्रस्ताव का मसौदा भेजा है।

एसकेएम के सूत्रों के अनुसार भेजे गए नए प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बनी समिति में सरकार एसकेएम के सदस्यों को शामिल करेगी और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा की सरकारें किसानों के खिलाफ दर्ज मामले तुरंत प्रभाव से वापस लेने पर सहमत हो गई हैं। दिल्ली में किसानों के खिलाफ दर्ज मामले भी वापस लिए जाएंगे।

एसकेएम कोर समिति की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में चढूनी ने कहा था, “अपनी मांगों को लेकर हम सरकार से सहमत हैं। अगली बैठक के बाद हम आंदोलन को स्थगित करने पर फैसला लेंगे।”

एसकेएम के सूत्रों ने कहा कि केंद्र द्वारा भेजे गए नए प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया है कि राज्यों से एमएसपी पर फसलों की खरीद में कमी नहीं की जाएगी।

एसकेएम के सूत्रों के अनुसार यह भी स्पष्ट किया गया है कि बिजली संशोधन विधेयक तब तक संसद में पेश नहीं किया जाएगा, जब तक कि किसानों को प्रभावित करने वाले प्रावधान पर सरकार एसकेएम के साथ चर्चा नहीं करती है। केंद्र ने किसानों को सूचित किया है कि पराली जलाने को पहले ही अपराधमुक्त कर दिया गया है।