राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट में राज्यों का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करवाने की मांग की है। सांसद ने चिंता व्यक्त की है कि जब सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति की बात आती है तो कई राज्यों के उच्च न्यायालयों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं किया जाता है। साथ ही उन्होंने न्यायाधीशों की नियुक्तियों में अधिक सामाजिक विविधता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाने की मांग भी की है।
पत्र में इस बात पर जोर दिया गया है कि भारत के संविधान के तहत सर्वोच्च न्यायालय देश में सर्वोच्च न्यायिक अंग है। इस नाते, “अन्य अंगों की तरह ही यह भी संघीय है, इस अर्थ में यह सभी राज्यों के लिए समान है।” विल्सन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को संघवाद की भावना के लिए एक प्रेरणा की तरह खड़ा होना चाहिए। पत्र में उन्होंने लिखा कि इसलिए सर्वोच्च न्यायालय को सभी राज्यों के पर्याप्त प्रतिनिधियों से बना होना चाहिए।
राज्यसभा सांसद के पत्र में उच्च न्यायालयों की स्वीकृत संख्या की तुलना करते हुए उच्चतम न्यायालय की खंडपीठ की राज्य-वार संरचना का भी उल्लेख किया गया है। जहां से न्यायाधीश आते हैं। उन्होंने पत्र में लिखा है कि यदि हम मद्रास उच्च न्यायालय की ही बात करें तो वर्तमान में केवल एक न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय में सेवारत है।
उन्होंने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच को समरूप नहीं होना चाहिए बल्कि इस महान राष्ट्र की सामाजिक विविधता को प्रतिबिंबित करना चाहिए। समय आ गया है कि हम समाज और लिंग के सभी वर्गों के न्यायाधीशों के साथ एक प्रतिनिधि संघ के रूप से काम करें।
विल्सन ने राष्ट्रपति से केंद्र सरकार को सर्वोच्च न्यायालय की नियुक्तियों में अधिक सामाजिक विविधता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने के साथ-साथ सभी राज्यों और उच्च न्यायालयों को उनकी संबंधित स्वीकृत शक्ति के आधार पर पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने का निर्देश देने का आग्रह किया है।