द इंडियन एक्सप्रेस ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि कृषि विधेयकों पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान विपक्ष के दो सांसद मत विभाजन (Division) के वक्त अपनी सीटों पर ही थे। इस पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने अपने एक बयान में कहा है कि यह सच है कि डीएमके के सांसद तिरुची शिवा ने अपनी सीट से मत विभाजन की मांग की थी लेकिन सदन में मत विभाजन के लिए ‘सदन का व्यवस्थित’ (Order in the House) होना भी बेहद जरुरी है।

बता दें कि जिस दिन राज्यसभा में कृषि विधेयक पास हुआ, द इंडियन एक्सप्रेस ने उस दिन की राज्यसभा टीवी की दोपहर एक बजे से लेकर दोपहर 1.26 बजे तक की आधिकारिक फुटेज का विश्लेषण किया है। जिसके बाद रिपोर्ट में बताया गया था कि डीएमके सांसद शिवा ने दोपहर 1.10 मिनट पर अपनी सीट से ही मत विभाजन की मांग की थी। वहीं सीपीएम सांसद केके रागेश ने कृषि बिल में संशोधन का प्रस्ताव दिया था और दोपहर 1.11 मिनट पर अपनी सीट से ही अपने संशोधन प्रस्ताव पर मत विभाजन की मांग की थी।

अब उपसभापति हरिवंश ने कहा है कि ” केके रागेश द्वारा प्रस्तावित संविधान या संसद के अधिनियम के अनुसरण का पालन करने का प्रस्ताव (Statutory Resolution) को सदन में 1.07 मिनट पर ध्वनि मत से खारिज कर दिया गया था और उस वक्त श्री रागेश सदन के वेल में थे और अपनी सीट पर नहीं थे।”

उपसभापति ने कहा कि “यह वीडियो में भी देखा जा सकता है कि वह जब बिल में संशोधन के प्रस्ताव पर उन्हें बोला गया तो मैंने गैलरी में देखा था लेकिन वह अपनी सीट पर नहीं थे।”

बता दें कि राज्यसभा टीवी के विजुअल्स देखने पर पता चलता है कि 1.11 मिनट पर जब सदन में बिल में संशोधन के लिए उसपर विचार किया जा रहा था तब केके रागेश अपनी सीट पर ही थे। उपसभापति ने कहा कि “यह सच है कि तिरुची शिवा बिल में संशोधन के लिए मत विभाजन की मांग कर रहे थे, तब वह अपनी सीट पर थे। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि 1.09 मिनट पर एक सदस्य रूल बुक को फाड़ रहे हैं और मुझ पर फेंक रहे हैं। साथ ही मैं इस दौरान कई सदस्यों से घिरा था जो मुझसे मेरे पेपर छीनने का प्रयास कर रहे थे।”

उपसभापति ने कहा कि नियमों के अनुसार, सदन में मत विभाजन के लिए दो चीजें जरूरी हैं। पहली मत विभाजन की मांग होनी चाहिए और दूसरी सदन व्यवस्थित (ऑर्डर) होना चाहिए। उपसभापति कार्यालय के अनुसार, “जब कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बिल पर जवाब दे रहे थे तब कुछ सदस्यों ने कुर्सी की गरिमा को ठेस पहुंचायी, राज्यसभा की रूल ऑफ काउंसिल को अपशब्द कहे और सदन की कार्यवाही को जानबूझकर अड़चन पैदा करने की कोशिश की।”

वहीं राज्यसभा सांसद केके रागेश ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर कहा है कि राज्यसभा सदस्य के तौर पर अलोकतांत्रिक तरीके से उनके अधिकारों का हनन हुआ है। उन्होंने उन समेत आठ सदस्यों को बर्खास्त करने का फैसला को भी गलत बताया और उपसभापति पर पक्षपातपूर्ण कार्यवाही करने का आरोप लगाया है। केके रागेश ने राष्ट्रपति से कृषि बिल को अपनी मंजूरी नहीं देने का आग्रह किया है।