राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने सभापति और देश के उपराष्ट्रपति वेकैंया नायडु को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने बताया है कि 20 सितंबर 2020 को राज्यसभा में जो हंगामा हुआ, उससे वह पिछले दो दिनों से आत्मपीड़ा, आत्मतनाव और मानसिक वेदना में हैं। हरिवंश ने ये भी बताया कि वह रात को सो भी नहीं पा रहे हैं।
बता दें कि बीती 20 सितंबर को कृषि सुधार विधेयक राज्यसभा में पास हो गए। हालांकि इस दौरान विपक्ष के सांसदों ने सदन में जमकर हंगामा हुआ और विधेयक की प्रतियां फांड़कर उपसभापति की तरफ उछाली गईं। उसी संबंध में उन्होंने लिखा कि माननीय सदस्यों द्वारा लोकतंत्र के नाम पर हिंसक व्यवहार हुआ, आसन पर बैठे व्यक्ति को भयभीत करने की कोशिश हुई। उच्च सदन की हर मर्यादा और व्यवस्था की धज्जियां उड़ायी गयीं।
उपसभापति ने लिखा कि राज्यसभा के अधिकारियों की टेबल पर चढ़कर महत्वपूर्ण कागजों को फाड़ने और फेंकने की घटनाएं हुईं और भद्दे और असंसदीय नारे लगाए गए। हरिवंश लिखते हैं कि लोकतंत्र के इस चीरहरण का दृश्य उनके मन पर ऐसा छाया रहा कि वह सो नहीं सके।
उन्होंने लिखा कि उच्च सदन के मर्यादित पीठ पर मेरे साथ जो अपमानजनक व्यवहार हुआ, उसके लिए मुझे एक दिन का उपवास करना चाहिए। शायद उनके इस उपवास से सदन में गलत आचरण करने वाले माननीय सदस्यों के अंदर आत्मशुद्धि का भाव जाग जाए।
बता दें कि कृषि सुधार विधेयक के मुद्दे पर राज्यसभा में हंगामा करने वाले आठ सांसदों को सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया है। जिन सांसदों को निलंबित किया गया है, उनमें टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन, डोला सेन, कांग्रेस के राजीव साटव, सैयद नजीर हुसैन और रिपुन बोरा के साथ ही आप सांसद संजय सिंह, माकपा के केके रागेश और इलामारम करीम का नाम शामिल है।
निलंबन के खिलाफ ये सांसद संसद भवन परिसर में ही धरने पर बैठ गए हैं। इतना ही नहीं इन सांसदों ने सोमवार की पूरी रात संसद भवन परिसर में धरना करते हुए गुजारी। हालांकि मंगलवार की सुबह एक सुखद तस्वीर सामने आयी जिसमें राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश धरना प्रदर्शन कर रहे सांसदों के लिए चाय-नाश्ता लेकर पहुंचे। हालांकि वैचारिक लड़ाई की मर्यादा के चलते सांसदों ने उपसभापति की चाय का ऑफर विनम्रतापूर्वक ठुकरा दिया। वहीं हरिवंश जी की पीएम मोदी ने भी तारीफ की है।