राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने सरकार को लिखा है कि PMLAD स्कीम में हर स्तर पर गड़बड़ियां देखी गई हैं। पिछली लोकसभा के आखिर में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MOSPI) के साथ-साथ हरिवंश ने इस स्कीम से जुड़ी ‘समस्याओं’ के संदर्भ में चेतावनी दी है। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि हरिवंश (जो कि MPLADS की समिति के पदेन अध्यक्ष हैं) ने कई कैग रिपोर्टों से टिप्पणियों का हवाला दिया।

MPLAD स्कीम को 1993 में नरसिम्हा राव की सरकार के दौरान शुरू किया गया। इसका उद्देश्य सांसदों को व्यकितगत रूप से विकास कार्यों के खर्च के लिए धन मुहैया कराना था। सांसद 1994-95 और 1997-98 के बीच सालाना 1 करोड़ रुपये के कार्यों की सिफारिश करने के हकदार थे, जिसके बाद वार्षिक पात्रता को बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये कर दिया गया। यूपीए सरकार ने 2011-12 में प्रति सांसद 5 करोड़ रुपये वार्षिक पात्रता बढ़ा दी। लेकिन सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक इस फंड का कार्यान्वयन गलत ढंग से किया गया। जिसकी वजह से चुने हुए प्रतिनिधि का भी ऐतबार घटता गया।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक जनवरी में हरिवंश ने तत्कालीन MOSPI मंत्री सदानंद गौड़ा को एक चिट्ठी लिखकर चिंता जाहिर की थी। उन्होंने लिखा था, “आप इस बात की दाद दे सकते हैं कि MPLAD योजना राष्ट्रीय स्तर पर एक मात्र योजना है, जिसमें स्थानीय समुदायों, समूहों और लोगों की भागीदारी के साथ-साथ कार्यों और सुविधाओं की पहचान के लिए यह आवश्यक है। हालांकि, यह विभिन्न कारणों से सबसे अधिक आलोचना की शिकार हुई योजनाओं में से एक है। हरिवंश ने लिखा, ” इस स्कीम को हर स्तर पर लागू करने के मामले में मैंने कई सारी परेशानियों को पाया है।” पिछले साल नवंबर में MPLADS समिति के द्वारा हासिल रिपोर्ट के आधार पर उपसभापति हरिवंश ने पाया कि इस स्कीम के तहत मिलने वाले पैसों को सही ढंग से लागू नहीं किया जा रहा।