राज्यसभा में नेशनल हेराल्ड मामले की पृष्ठभूमि में कांग्रेस द्वारा सरकार पर राजनीतिक बदले का आरोप लगाते हुए हंगामा किए जाने से बुधवार को भी गतिरोध कायम रहा। सदन की बैठक को पांच बार के स्थगन के बाद अंतत: पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। हालांकि सत्ता पक्ष की ओर से कहा गया कि यह मामला कुछ व्यक्तियों से संबंधित है व कांग्रेस देश की प्रगति को बाधित करने का प्रयास कर रहा है।
हंगामे के बीच विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह कांगे्रस सहित विपक्षी नेताओं के खिलाफ मामलों को खुलवाकर उन्हें निशाना बना रही है। नेशनल हेराल्ड मामले का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस गैर लाभकारी निकाय के न्यासियों को नोटिस भेजा था। उन्होंने कहा कि बाद में जब ईडी ने कारण देखे तो उसके निदेशक ने इस साल अगस्त में मामला बंद करने का निर्णय किया। इसके कुछ ही दिन बाद सरकार ने ईडी निदेशक को बदल दिया। आजाद ने आरोप लगाया कि सरकार एवं सुब्रह्मण्यम स्वामी के निर्देशों पर इस मामले को फिर खोला गया।
विपक्ष के नेता ने कहा कि कांग्रेस को न्यायपालिका पर पूर्ण विश्वास है। सरकार के विपक्षी नेताओं के खिलाफ मामलों को खोलने के कदम के कारण उन्हें लोकतंत्र के मंदिर में आवाज उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है क्योंकि स्वयं लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। कुछ खुलासों में धन शोधन का मामला बना था जिसके तार राजस्थान की मुख्यमंत्री से जुड़ रहे थे। इसके अलावा व्यापमं जैसे घोटालों के भी आरोप थे। किंतु सरकार इसके बजाय कांगे्रस और अन्य राजनीतिक दलों को निशाना बना रही है।
आजाद के आरोपों को नकारते हुए संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि विपक्षी दल डरा हुआ नहीं है बल्कि सदन की कार्यवाही बाधित कर देश को डरा रहा है क्योंकि उसे आशंका है कि अदालत का आदेश उसके युवराज के खिलाफ जा सकता है। नकवी ने कहा कि सरकार विचार विमर्श को तैयार है किंतु नेशनल हेराल्ड के मामले में नहीं क्योंकि वह अदालत के समक्ष विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि सरकार इसके बजाय राजनीतिक बदले की भावना संबंधी आरोप के मुद्दे पर चर्चा को राजी है। मामला आपके पाले में है। आप अदालत में इसे लड़िए। नेशनल हेराल्ड का मुद्दा राष्ट्रीय मामला न होकर दो व्यक्तियों के बीच का मामला है।
कांग्रेस पर हमला बोलते हुए नकवी ने कहा कि भ्रष्टाचार रोकथाम, मुद्रा स्फीति, अनुसूचित जाति और जनजाति कल्याण सहित विभिन्न महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा कराई जानी है। कांग्रेस चुनाव हार गई इसलिए वह जनता को इसकी सजा देना चाहती है किंतु जनता उसे माफ नहीं करेगी। इस पर तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यह केवल कांग्रेस का मामला नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी दलों के साथ ऐसा हो रहा है। हंगामा थमते न देख उपसभापति पीजे कुरियन ने अपराह्न करीब सवा तीन बजे बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।
इसके पहले सुबह सदन की बैठक शुरू होते ही कांग्रेस सदस्य आसन के समक्ष आ गए और सरकार पर तानाशाही चलाने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी करने लगे। इसी बीच बीजद के सदस्य भी पोलावरम परियोजना का विरोध करते हुए आसन के समक्ष आ गए। बीजद के कई सदस्यों के हाथों में पोस्टर भी थे। उनका कहना था कि इस परियोजना से ओड़िशा को नुकसान होगा। इससे पहले नकवी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सदन को बंधक बना लिया है। उन्होंने आसन से अनुरोध किया कि उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की जाए। कांग्रेस छोड़कर पूरा सदन चाहता है कि सदन में चर्चा हो। जनता ने कांग्रेस को जनादेश नहीं दिया तो वे जनता से बदला ले रहे हैं और विकास को अवरुद्ध कर रहे हैं।
हंगामे के बीच ही कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा कि हमने मंगलवार को और आज भी अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार विपक्षियों को निशाना बना रही है और राज्य की संस्थाओं का दुरुपयोग किया जा रहा है। विपक्ष ने यहां राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों व ललित गेट का मामला उठाया। लेकिन कोई प्राथमिकी तक दर्ज नहीं हुई। जवाब में नकवी ने कहा कि हम विपक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हैं। पर यह बताया जाना चाहिए कि कौन संस्थाओं का दुरुपयोग कर रहा है।
उपसभापति कुरियन ने हंगामा कर रहे कांग्रेस सदस्यों से कहा कि सरकार का कहना है कि वह चर्चा के लिए तैयार है। इस पर आनंद शर्मा ने कहा कि पहले कार्रवाई हो, फिर चर्चा होगी। इस पर नकवी ने कहा कि यह अदालत नहीं है और यहां चर्चा की जा सकती है। उन्होंने सवाल किया कि किसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। अगर किसी ने कोई गलती नहीं की है तो उसे चिंता नहीं करनी चाहिए। यह साबित करता है कि दाल में काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है। कांग्रेस सदस्यों के आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने के कारण सदन की कार्यवाही बार बार बाधित हुई। उल्लेखनीय है कि इसी मुद्दे पर कांग्रेस के हंगामे के कारण मंगलवार को भी सदन में गतिरोध बना रहा था।