ललित मोदी और व्यापमं मामलों में जवाबदेही तय किए जाने और इस संबंध में इस्तीफों की मांग पर अड़ी कांग्रेस के हंगामे के कारण आज राज्यसभा की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी। वहीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को निराधार करार देते हुए सदन में कहा कि उन्होंने ललित मोदी को यात्रा दस्तावेज जारी करने के लिए ब्रिटिश सरकार से कोई अनुरोध नहीं किया है।
कांग्रेस सदस्यों के हंगामे और उनके आसन के समीप आकर नारेबाजी करने के कारण राज्यसभा की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बज कर करीब 50 मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी। शून्यकाल और प्रश्नकाल आज भी हंगामे की भेंट चढ़ गया।
सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस सदस्यों ने एक बार फिर ललित मोदी विवाद और व्यापमं प्रकरण उठाया। कांग्रेस के सदस्य ललित मोदी और व्यापमं मामलों में जवाबदेही तय किए जाने और विदेश मंत्री और राजस्थान तथा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
उपसभापति पी जे कुरियन ने कांग्रेस सदस्य आनंद शर्मा द्वारा नियम 267 के तहत दिए गए नोटिस का जिक्र करते हुए कहा कि जब तक चर्चा नहीं शुरू होगी, प्रधानमंत्री जवाब नहीं दे सकते।
इसके बाद सुषमा ने कहा कि उन्होंने आईपीएल के पूर्व प्रमुख ललित मोदी को यात्रा दस्तावेज जारी करने के लिए ब्रिटिश सरकार से कोई अनुरोध नहीं किया था और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार एवं तथ्यहीन हैं।
कांग्रेस सदस्यों के हंगामे के कारण सुषमा अपनी बात पूरी नहीं कर सकीं और उपसभापति कुरियन ने हंगामे को देखते हुए बैठक 11 बजकर 15 मिनट पर दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
इसके पहले आनंद शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार के अहंकार के कारण सदन में गतिरोध बना हुआ है। उन्होंने कहा कि सदन में उस समय तक सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो सकती जब तक कि जवाबदेही तय करने को लेकर प्रधानमंत्री जवाब नहीं देते।
इसके पहले सपा के नरेश अग्रवाल ने सांसदों को रियायती भोजन मुहैया कराए जाने के मुद्दे पर चर्चा की मांग की। इस पर सरकार ने कहा कि वह इस मुद्दे पर तुरंत चर्चा के लिए तैयार है।
एक बार के स्थगन के बाद जब बारह बजे बैठक शुरू हुई तो सदन में वही नजारा था। कांग्रेस सदस्यों ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी की डिग्री के मुद्दे पर चल रहे विवाद को लेकर उनके इस्तीफे की भी मांग की।
सदन में हंगामे को देखते हुए सभापति हामिद अंसारी ने सिर्फ पांच मिनट के अंदर ही बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे बैठक शुरू होने पर कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री ने दावा किया कि सुबह विदेश मंत्री ने सदन में जो टिप्पणी की थी, उसके लिए आसन ने अनुमति नहीं दी थी। उन्होंंने व्यवस्था के प्रश्न के नाम पर यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि सदन के नेता अरुण जेटली ने उन्हें ‘‘बयान’’ देने के लिए कहा और उसके बाद विदेश मंत्री ने टिप्पणी की। उन्होंने मांग की कि सुषमा की टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से निकाल दिया जाना चाहिए। कांग्रेस सदस्यों ने मांग की कि सदन के महासचिव के जरिये मीडिया को परामर्श जारी किया जाना चाहिए कि सुषमा की टिप्पणी को बयान नहीं बताया जाए।
कुरियन ने कहा कि यह बयान था या उन्होंने अपने खिलाफ सदन में लगाए गए आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त की थी, इसकी जांच की जाएगी। हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि वह बयान नहीं था।
संसदीय कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि विदेश मंत्री ने आनंद शर्मा की बात पर प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।
कांग्रेस की दलील को खारिज करते हुए अरूण जेटली ने कहा कि पिछले दो सप्ताह से एक मंत्री के खिलाफ बिना आधार के आरोप लगाए जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में संबंधित मंत्री को अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मीडिया सेंसरशिप की मांग की जा रही है।
इस बीच कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने दावा किया कि विदेश मंत्री ने आसन की अनुमति के बिना ही टिप्पणी की थी और उनकी बात को सदन की कार्यवाही से निकाल दिया जाना चाहिए।
इस पर कुरियन ने हंगामा कर रहे सदस्यों से सवाल किया कि आप जो यह कर रहे हैं, वह क्या आसन की अनुमति से कर रहे हैं।
इसी बीच जेटली ने कहा कि वह कांग्रेस सदस्यों की मांग से सहमत हैं और पिछले 10 दिनों में सुषमा स्वराज के बारे में जो यहां कहा गया है, उसे कार्यवाही से हटा दिया जाना चाहिए।
कुरियन ने कांग्रेस सदस्यों से कहा कि बयान और प्रतिक्रिया में अंतर है। उन्होंने कहा कि बयान देने के लिए पहले आसन से अनुमति लेनी होती है और अगर किसी सदस्य के खिलाफ आरोप लगाया जाता है तो उसका जवाब देने का संबंधित सदस्य को अधिकार है। उन्होेंने कहा कि सुबह सुषमा ने जो कहा कि उसके लिए पहले से अनुमति नहीं ली गयी थी और वह बयान नहीं था।
इसी दौरान माकपा के सीताराम येचुरी ने सवाल किया कि किसी सदस्य की ओर से दिया गया नोटिस आसन द्वारा स्वीकार किए बिना ही कैसे सार्वजनिक किया जा सकता है। जेटली ने सदन के नियमों का जिक्र करते हुए कहा कि नोटिस सदस्यों को उपलब्ध कराए जा सकते हैं।
जदयू के केसी त्यागी और सपा के नरेश अग्रवाल ने पिछले दिनों कृषि मंत्री राधामोहन सिंह द्वारा एक सवाल के दिए गए लिखित जवाब का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने किसानों के संबंध में असंवेदनशील टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि किसानों की आत्महत्या के कारण बताते हुए असंवेदनशील टिप्पणी की गयी है।
त्यागी ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में विशेषाधिकार का एक नोटिस भी दिया है। अग्रवाल ने भी कहा कि उन्होंने एक नोटिस दिया है। सदस्यों ने मांग की कि कृषि मंत्री को सदन में आकर माफी मांगनी चाहिए। कुरियन ने सदस्यों की मांग पर कहा कि उनके नोटिस पर सभापति विचार कर रहे हैं।
इसी दौरान कांग्रेस के सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के समीप आ गए। कुछ सदस्यों ने हाथों में पोस्टर भी लिए हुए थे। हंगामे को देखते हुए कुरियन ने दोपहर दो बजकर करीब 50 मिनट पर बैठक दिन भर के लिए स्थगित कर दी।