जम्मू कश्मीर की पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार द्वारा अलगाववादी मसर्रत आलम की रिहाई के मुद्दे पर राज्यसभा में विपक्ष के हमलों से घिरी केन्द्र सरकार ने आज कहा कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कुछ भी न्यौछावर करने को तैयार है। लेकिन विपक्ष के इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री के जवाब की मांग पर अड़े रहने से सदन की बैठक दो बार के स्थगन के बाद अंतत: दिनभर के लिए स्थगित कर दी गयी।

गृह मंत्री सिंह ने विपक्ष की सारी आशंकाओं को निर्मूल करार देते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर देश का अभिन्न अंग है और बना रहेगा। उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी व्यक्ति को भले ही वह कितना भी शक्तिशाली क्यों नहीं हो, देश की एकता और अखंडता तथा सुरक्षा से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। हम इसके लिए कुछ भी न्यौछावर करने को तैयार हैं।’’

सिंह ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि भाजपा एवं पीडीपी के बीच वैचारिक मतभेद हैं। उन्होंने कहा कि विगत में हमारे कभी पीडीपी के साथ कोई संबंध नहीं रहे हैं। हमारा उनका साथ तो महज दस दिन पुराना है। आपका (कांग्रेस का) उनके साथ लंबा संबंध रहा है। उनके उुपर तो आपका ही रंग चढ़ा हुआ है। आप उनके साथ सत्ता में भी रहे थे।

गृह मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि जम्मू कश्मीर में सरकार गठन को लेकर कोई छिपा हुआ एजेंडा नहीं रहा और न ही पर्दे के पीछे कोई बातचीत हुई। आलम की रिहाई के बारे में राज्य सरकार के गृह विभाग से मिली जानकारी को असंतोषजनक बताते हुए सिंह ने कहा कि केंद्र ने वहां की सरकार से इस बारे में और जानकारी मांगी है। उन्होंने कहा कि यदि जरूरत हुई तो राज्य सरकार को कड़ा परामर्श जारी किया जाएगा। सरकार इस मामले में कोई संकोच नहीं करेगी।

गृह मंत्री ने जनसुरक्षा कानून के तहत मसर्रत की हिरासत के मुद्दे को सितंबर 2014 में परामर्श बोर्ड के पास नहीं भेजे जाने का सारा जिम्मा तत्कालीन नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस सरकार पर डालते हुए कहा कि वह तीन माह तक इसे दबाए रही।

इससे पूर्व, गृह मंत्री से स्पष्टीकरण मांगते हुए विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मसर्रत आलम घाटी में 112 बच्चों के मारे जाने का जिम्मेदार है। उसके खिलाफ सरकार ने कोई मामला क्यों नहीं चलाया।

जदयू प्रमुख शरद यादव ने जानना चाहा कि भाजपा और पीडीपी के बीच जम्मू कश्मीर न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) के तहत कौन-कौन से प्रावधान किए गए हैं।

बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री ने विधानसभा चुनाव के बारे में एक बयान दिया जिसकी पूरे देश में आलोचना हुई। उन्होंने कहा कि राज्य की सरकार एक के बाद एक ऐसे कदम उठा रही है जिसकी देश में निंदा हो रही है।

बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा, निर्दलीय एच के दुआ, कांग्रेस के आनंद शर्मा, प्रमोद तिवारी एवं शांताराम नाइक जदयू के केसी त्यागी सहित कई सदस्यों ने भी मसर्रत की रिहाई से जुड़े मुद्दों पर सरकार से विभिन्न स्पष्टीकरण मांगे।

गृह मंत्री के बयान के बाद विपक्ष के प्रधानमंत्री से इस मुद्दे पर जवाब दिये जाने की मांग करने पर संसदीय कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सदस्यों ने जो मुद्दा उठाया, उसका गृह मंत्री ने विस्तार से जवाब दिया। उन्होंने विपक्ष पर बहाना बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री यहां उपस्थित थे और किसी सदस्य ने यह नहीं कहा कि उन्हें हस्तक्षेप करना चाहिए।

इस पर आजाद ने कहा कि यह सच है कि किसी ने उस वक्त नहीं कहा क्योंकि हमें नहीं मालूम था कि प्रधानमंत्री वहां बयान दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री ने वहां हस्तक्षेप किया तो उन्हें यहां भी हस्तक्षेप करना चाहिए था। शरद यादव ने कहा कि उन्हें भी इंतजार था कि प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करेंगे।

इसी बीच कांग्रेस और जदयू के कुछ सदस्य आसन के समीप आ गए और नारेबाजी करने लगे। वहीं कुछ अन्य दलों के सदस्य अपने स्थानों पर खडे थे। हंगामे को देखते हुए उपसभापति कुरियन ने दोपहर बाद करीब सवा चार बजे बैठक 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी।

बैठक फिर शुरू होने पर भी विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘‘जिस समय इस विषय पर चर्चा हो रही थी, प्रधानमंत्री सदन में मौजूद रहे। वह बाद तक भी बैठे रहे। अब दो घंटे बाद यह प्रश्न उठाया जा रहा है।’’

उन्होंने विपक्षी सदस्यों से अपील की कि खान और खनिज से संबंधित संशोधन विधेयक पर सदन में चर्चा होनी है। उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण विषय है और इसके तहत उन राज्यों को पैसे जाएंगे जहां आदिवासियों की ज्यादा आबादी है।

कुरियन ने भी सदस्यों से शांत होने की अपील की। हंगामा थमते नहीं देख उन्होंने चार बजकर करीब 40 मिनट पर बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।

इससे पहले सुबह, सदन की बैठक शुरू होने पर विपक्ष ने यह मुद्दा उठाया। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर राज्य की पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार पर देश की सुरक्षा के साथ समझौता करने का आरोप लगाया था। कांगे्रस के आनंद शर्मा ने कहा कि वह कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिये यह मुद्दा उठाना चाहते हैं। शर्मा तथा विपक्ष के विभिन्न नेताओं द्वारा इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखे जाने के बाद कुरियन ने कहा कि वह शर्मा के प्रस्ताव को खारिज करते हैं।