देश में इस समय चुनावी माहौल है, चुनावी माहौल में सियासी दल एक दूसरे पर जमकर प्रहार कर रहे हैं। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने न्यूज एजेंसी ANI को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि जिन लोगों ने इमरजेंसी लगाई थी, वो आज हमें तानाशाह बता रहे हैं। राजनाथ सिंह ने बताया कि उन्हें इंदिरा गांधी सरकार के समय में लगाए गए आपातकाल के दौरान अठारह महीने तक जेल में रखा गया था। राजनाथ सिंह ने बताया कि उन्हें उनकी बीमार मां से मिलने तक के लिए पैरोल नहीं दी गई थी और इसी वजह से वो उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके।

विपक्ष के अघोषित आपातकाल के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि जिन्होंने इमरजेंसी के जरिए तानाशाही लागू की, वे हम पर तानाशाह होने का आरोप लगाते हैं। राजनाथ सिंह ने बताया कि उन्हें आपातकाल के खिलाफ जेपी आंदोलन के दौरान उन्हें मिर्ज़ापुर-सोनभद्र का संयोजक बनाया गया था।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इंटरव्यू में बताया कि वो आपातकाल के दौरान करीब 24 साल के थे और जब पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के लिए घर पर आई तो उनके घर पर कोई हंगामा नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “मेरी नई-नई शादी हुई थी और पूरा दिन काम करने के बाद घर लौटा था। मुझे बताया गया कि पुलिस आई थी। उन्होंने मुझे बताया कि वारंट है। आधी रात के करीब था और मुझे जेल ले जाया गया। मुझे एकांत कारावास में रखा गया था।”

जेल में कैसे बिताते थे समय?

राजनाथ सिंह ने बताया कि जेल में उनका कॉन्फिडेंस हाई  है और उन्होंने जेल परिसर में आपातकाल के खिलाफ नारे लगाए। उन्होंने कहा, “जेल में हमें कोई किताबें नहीं दी गईं, एक पीतल का बर्तन था जिसमें दाल दी गई थी और हमारे हाथों में रोटी दी जाती थी। हमें कुछ समय के लिए परिसर में ही घूमने की इजाजत थी… शायद मेरा स्वभाव अच्छा था इसलिए मुझे इतने लंबे समय तक जेल में रखा गया। जब मुझे मिर्ज़ापुर जेल से नैनी सेंट्रल जेल में ट्रांसफर किया गया तो वहां मेरी मां भी मिलने के लिए आईं थीं। उन्होंने मुझसे कहा, चाहे कुछ भी हो जाए, माफ़ी मत मांगना। यह सुनकर पुलिस वाले रोने लगे।

राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि जब एक साल बीत गया तो उनकी मां ने पूछा कि क्या उन्हें रिहा किया जाएगा और उनके चचेरे भाई ने उन्हें बताया कि आपातकाल को एक और साल के लिए बढ़ा दिया गया है। रक्षा मंत्री ने बताया, “उनकी मां को ब्रेन हैमरेज हो गया था, वह 27 दिनों तक अस्पताल में रही और फिर उनका निधन हो गया लेकिन मुझे पैरोल नहीं दी गई। मैंने जेल में अपना सिर मुंडवा लिया, मेरे भाइयों द्वारा मां का अंतिम संस्कार किया गया…और कल्पना कीजिए कि वे हमारे खिलाफ तानाशाही के आरोप लगाते हैं, वे अपने भीतर नहीं देखते।”