Gurjar Arakshan Sangharsh Samiti: राजस्थान में गुर्जर समाज के लोग रविवार को एक बार फिर सड़क पर उतर आए। गुर्जर नेताओं ने भरतपुर के पीलूपुरा गांव में महापंचायत बुलाई। महापंचायत के खत्म होने के बाद समाज के कुछ लोग ट्रेन की पटरियों पर पहुंचे और कोटा-मथुरा पैसेंजर ट्रेन को रोक दिया। इस दौरान दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक 2 घंटे तक जाम रहा। हालात को देखते हुए कलेक्टर और एसपी मौके पर पहुंचे। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से बात की और 2 घंटे बाद ट्रैक को खाली कराया जा सका।

महापंचायत के बाद गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला ने न्यूज़ एजेंसी PTI से कहा, “महापंचायत से एक बड़ी बात यह सामने आई है कि गुर्जर समुदाय एकजुट हुआ है। महापंचायत में पूरे राजस्थान से लोग आए। जहां तक ​​नौवीं अनुसूची के मुद्दे का सवाल है, कैबिनेट की मंजूरी लेना और प्रस्ताव को केंद्र में भेजना एक प्रक्रिया है…।” उन्होंने कहा कि समाज के कुछ लोग भ्रम की वजह से रेलवे ट्रैक पर पहुंच गए थे और उन्होंने ट्रेन की चेन को खींच दिया।

इससे पहले बैंसला ने कहा था कि दिसंबर, 2023 में राजस्थान में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से हम लगातार सरकार से बात कर रहे हैं लेकिन बात आगे नहीं बढ़ रही है। बैंसला ने कहा कि उन्हें महापंचायत बुलाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

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राज्य सरकार की तरफ से आए मसौदे को लोगों को सुनाने के बाद महापंचायत को खत्म करने की घोषणा की गई। सरकार और समाज के बीच सात मांगों पर सहमति बनी है। इन मांगों में MBC आरक्षण विधेयक को नौवीं अनुसूची में शामिल करने, आरक्षण आंदोलन के दौरान हुए समझौते का पालन करने, आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमों को वापस लेने की मांग आदि शामिल हैं। 

एमबीसी के 5% आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग

गुर्जर समाज के लोगों की मांग है कि एमबीसी के 5% आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए जिससे इसे न्यायिक समीक्षा से छूट मिल सके। 2019 में राजस्थान सरकार ने एमबीसी कोटा कानून पास किया था लेकिन इसे नौवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया था। विजय बैंसला ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री पर विश्वास है कि वह इस मामले में तेजी से आगे बढ़ेंगे।

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मामलों को वापस लेने की मांग

गुर्जर समुदाय के लोग आरक्षण आंदोलन के दौरान समुदाय के लोगों पर दर्ज किए गए मामलों को वापस लेने का भी दबाव बना रहे हैं। विजय बैंसला का आरोप है कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में अभी तक एक भी मामला वापस नहीं लिया गया है। गुर्जर समुदाय की इस महापंचायत को भरतपुर में जाट समुदाय का भी साथ मिला था।

मौजूदा वक्त में क्या है व्यवस्था?

मौजूदा वक्त में राजस्थान में 64% आरक्षण है। इसमें ओबीसी के लिए 21%, अनुसूचित जाति के लिए 16%, एसटी के लिए 12% आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10% और मोस्ट बैकवर्ड क्लास (एमबीसी) के लिए 5% का आरक्षण है।

अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार ने गुर्जर समुदाय को एमबीसी श्रेणी में शामिल किया था। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति का आरोप है कि गुर्जर और एमबीसी समुदाय में शामिल बाकी जातियों को आरक्षण का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है और इसकी वजह मौजूद रोस्टर प्रणाली है। विजय बैंसला का कहना है कि यह रोस्टर प्रणाली स्थानीय स्तर पर आरक्षित पदों की संख्या कम कर देती है।

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किरोड़ी बैंसला के बेटे हैं विजय

विजय बैंसला गुर्जर आरक्षण आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे दिवंगत कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे हैं। वह बीजेपी के टिकट पर 2023 में राजस्थान में विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2008 में भी आरक्षण की मांग को लेकर गुर्जर समाज के लोग सड़कों पर उतरे थे और इस दौरान कई प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी।

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