देश में मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं की रोकथाम के लिए कठोर कानून बनाए जाने की मांग लंबे समय से की जा रही है, ताकि ऐसी घटनाओं पर रोक लगायी जा सके। हालांकि अब ऐसी खबरें आयी हैं, जिनसे पता चलता है कि सरकार मॉब लिंचिंग के खिलाफ कोई नया कानून बनाने के पक्ष में नहीं है! बता दें कि भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार दिए जाने की घटनाओं (मॉब लिंचिंग) की रोकथाम के लिए मंत्रियों के समूह की बैठक प्रस्तावित है, जिसकी अध्यक्षता केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह करेंगे। हालांकि अभी तक यह बैठक नहीं हुई है।

वहीं एक वरिष्ठ अधिकारी का मानना है कि मंत्री समूह की बैठक में मॉब लिंचिंग के खिलाफ कोई नया कानून बनने की संभावना बेहद कम हैं। अधिकारी का कहना है कि ‘लिंचिंग की घटनाओं से निपटने के लिए पहले से ही काफी कानून मौजूद हैं और सिर्फ उन्हें सही तरीके से ‘लागू’ करने की जरुरत है।’ द हिंदू की एक खबर के अनुसार, अधिकारी का कहना है कि पुलिस को ऐसे मामलों के लिए लिए ट्रेनिंग देने की जरुरत है, ताकि ऐसे मामलों में दोष सिद्ध हो सके।

गौरतलब है कि बीती 5 अगस्त को राजस्थान विधानसभा ने एक बिल पास किया है, जिसे Rajasthan Protection from Lynching Bill, 2019 नाम दिया गया है। राजस्थान सरकार के इस बिल के तहत मॉब लिंचिंग मामले में दोषी पाए गए व्यक्ति को उम्रकैद और 5 लाख रुपए तक का जुर्माना देने का प्रावधान किया गया है। हालांकि अभी इस कानून का केन्द्र सरकार द्वारा अध्ययन किया जाना है। जिसके बाद केन्द्र सरकार की मंजूरी के बाद ही यह कानून बन सकेगा।

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उल्लेखनीय है कि साल 2018 के मई-जून में 20 से ज्यादा लोगों को मॉब लिंचिंग के तहत मार दिया गया था। मॉब लिंचिंग की ये घटनाएं गोकशी और बच्चा उठाने जैसी अफवाहों को चलते हुई। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के पास मॉब लिंचिंग का कोई डाटा नहीं है, क्योंकि इस तरह की घटनाओं को NCRB द्वारा हत्या की श्रेणी में रखा जाता है।

बहरहाल मॉब लिंचिंग की रोकथाम के लिए सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से अफवाहें रोकने की दिशा में जरुरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को भारत में अपने प्रतिनिधि नियुक्त करने को भी कहा है, ताकि किसी मामले में पुलिस त्वरित कार्रवाई कर सके।