राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत अपनी सरकार के खिलाफ हुई बगावत को शांत करने की कोशिशों में जुटे हैं लेकिन यह पहला मौका नहीं है, जब राजस्थान में सीएम को बगावत का सामना करना पड़ा हो। बता दें कि इससे पहले साल 1954 में भी राजस्थान के तत्कालीन सीएम जयनारायण व्यास को बगावत के चलते ही अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी। उल्लेखनीय बात ये है कि तत्कालीन पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू भी व्यास की कुर्सी को नहीं बचा पाए थे।

बगावत के चलते जयनारायण व्यास को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था और इसके बाद एक तांगे में सामान भरकर सीएम आवास खाली कर दिया था। जयनारायण व्यास राजस्थान में 1952 में हुए विधानसभा चुनाव में दो जगह से हारकर भी सीएम बने थे। दरअसल जयनारायण व्यास को पंडित नेहरू का काफी करीबी माना जाता था। सरकार बनने के दो साल में ही कांग्रेस के अंदर फूट पड़ गई। युवा नेता मोहनलाल सुखाड़िया ने सीएम के खिलाफ बगावत कर दी थी। जिसके बाद पार्टी के कई विधायकों ने भी सुखाड़िया का समर्थन किया था।

बगावत बढ़ती देख कांग्रेस पार्टी द्वारा अपने नेता बलवंत राय को जयपुर भेजा गया था। बातचीत के दौरान विधायकों द्वारा मतदान से अपना नेता चुनने पर सहमति बनी। जिसके बाद हुए मतदान में सुखाड़िया विजयी रहे थे। कांग्रेस कार्यालय में जैसे ही नतीजों का ऐलान हुआ। बताया जाता है कि सीएम जयनारायण व्यास एक तांगे में बैठकर सीएम आवास पहुंचे और उसी तांगे में अपना सामान भरकर सीएम आवास खाली कर दिया था।

अब एक बार फिर राजस्थान में वैसे ही हालात बनते नजर आ रहे हैं। हालांकि सीएम अशोक गहलोत अभी भी मजबूत स्थिति में नजर आ रहे हैं। जयपुर के होटल फेयरमोंट में कांग्रेस, निर्दलीय और सहयोगी दलों के विधायकों की बैठक हो रही है। सचिन पायलट और उनके समर्थक लगातार दूसरे दिन इस अहम बैठक में शामिल नहीं हुए हैं। इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य में अभी सियासी तकरार और चलेगी।

कांग्रेस की तरफ से सचिन पायलट को मनाने की भरसक कोशिश की जा रही है लेकिन सचिन पायलट अपने बागी तेवरों पर अड़े हैं। ऐसी खबरें आ रही हैं कि कांग्रेस आलाकमान ने भी तय कर लिया है कि सचिन पायलट से अब और बात नहीं होगी लेकिन जिस तरह से पार्टी में अशोक गहलोत के खिलाफ आवाजें मुखर हो रही हैं, उससे पार्टी नेतृत्व की चिंता भी बढ़ी हुई है।