राजस्थान के एक किसान की जमीन और मकानों का सीमेंट कंपनी द्वारा अधिग्रहण करने के बाद उसे मुआवजे के रूप में दी जाने वाली धनराशि कम लगी। मांगी गई राशि से ज्यादा की मांग पूरी न होने पर किसान ने सपरिवार आत्महत्या की धमकी दी। जिसके बदले में प्रशासन ने उनके घर 99 पुलिसकर्मियों को भेज दिया और उनकी तैनाती का ईल चुकाने का आदेश दिया।

चार साल पहले राजस्थान के झुंझुनू में एक सीमेंट कंपनी द्वारा उनकी जमीन और 500 मकानों का अधिग्रहण करने के बाद किसान विद्याधर यादव का मानना ​​था कि उन्हें मुआवजे के रूप में 6 करोड़ रुपये मिलने चाहिए थे पर उनकी मांग नहीं सुनी गई।

5 नवंबर 2024 को आखिरकार उनका घर गिरा दिया गया। जिसके बाद सिर्फ 4 करोड़ रुपये की पेशकश से नाखुश यादव ने जिला प्रशासन से कहा कि अगर वो 6 करोड़ रुपये और सीमेंट फैक्ट्री में नौकरी की उनकी मांगें नहीं मानते हैं तो वह और उनका परिवार 11 दिसंबर को आत्महत्या कर लेंगे।

किसान के घर भेजे गए 99 पुलिसकर्मी

इस समय सीमा से एक दिन पहले प्रशासन ने उनके वर्तमान निवास स्थान पर 99 पुलिसकर्मियों को भेजा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह और उनका परिवार यह कठोर कदम न उठा लें। फिर, पिछले हफ़्ते प्रशासन ने उन्हें पुलिस तैनाती के लिए 9,91,557 रुपये का बिल भेजा और उन्हें सात दिनों में इसे चुकाने का निर्देश दिया।

विद्याधर यादव वर्तमान में कंपनी द्वारा क्षेत्र से विस्थापित लोगों को दिए गए किराए के घर में रहते हैं। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया , “मैंने 6 करोड़ रुपये का मुआवज़ा और सीमेंट फैक्ट्री में नौकरी मांगी। मेरी खेती की जमीन दो साल पहले ही अधिग्रहित की जा चुकी थी और 5 नवंबर को उन्होंने मेरा घर गिरा दिया। मैंने 4 करोड़ रुपये का मुआवज़ा स्वीकार नहीं किया और जिला प्रशासन से कहा कि अगर मेरी मांगें पूरी नहीं की गईं तो मैं 11 दिसंबर को अपने परिवार के सदस्यों के साथ आत्महत्या कर लूंगा।”

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प्रशासन ने किसान को भेजा 9.9 लाख रुपए का बिल

किसान ने बताया कि 10 दिसंबर को प्रशासन ने पुलिसकर्मियों को उनके आवास पर भेजा। उन्होंने बताया, “सरकार के दबाव के बाद 15 दिसंबर को मैंने 4 करोड़ रुपए स्वीकार कर लिए लेकिन वे मुझे फैक्ट्री में नौकरी देने के लिए तैयार नहीं हुए। 17 दिसंबर को प्रशासन ने मुझे करीब 9.9 लाख रुपए का नोटिस भेजा।”

विद्याधर ने कहा कि वह नोटिस के खिलाफ अदालत जाएंगे क्योंकि उन्होंने कभी भी अपने घर पर पुलिस फोर्स भेजने के लिए नहीं कहा था। उन्होंने यह भी कहा कि नोटिस उन पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा था।

वहीं, दूसरी ओर झुंझुनू के एसपी शरद चौधरी ने बताया कि 10 दिसंबर को यादव के किराए के घर पर पुलिस तैनात की गई थी ताकि उनके परिवार की सुरक्षा हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि एक उदाहरण देना जरूरी है ताकि अन्य लोग इस तरह के कदमों का सहारा न लें।

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किसान को अधिकारियों का खर्च उठाने को कहा

एसपी ने कहा, “करीब 500 लोगों ने मुआवजा लेने के बाद अपनी जमीन खाली कर दी है। अब सिर्फ विद्याधर यादव का घर बचा हुआ है। एसडीएम, विधायक और कई अन्य लोगों ने उन्हें कागजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मनाने की कोशिश की है लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। यादव के घर के आसपास सीमेंट के लिए लंबे समय से खनन चल रहा है, जिससे उनके परिवार के सदस्यों की जान जोखिम में पड़ रही है। वह बेवजह बाधा उत्पन्न कर रहे थे।”

SP चौधरी ने कहा, “हमने उनके परिवार की सुरक्षा के लिए 10 दिसंबर को पुलिस अधिकारियों को भेजा था और प्रशासन को इस अनावश्यक खतरे से बचाना था इसलिए, हमने उनसे अधिकारियों का खर्च उठाने को कहा है।” देशभर के मौसम का हाल जानने के लिए पढ़ें jansatta.com का LIVE ब्लॉग