Rajasthan Politics: राजस्थान में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में राज्य की पूर्व सीएम और भाजपा की दिग्गज नेता वसुंधरा राजे ने ‘फिर से वसुंधरा’ का नारा दिया है। दरअसल भाजपा केंद्रीय नेतृत्व से मिली अनदेखी के बीच वसुंधरा राजे राजस्थान में भाजपा में अपना प्रभुत्व बनाए रखने के जद्दोजहद में हैं। आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उभरने के लिए वसुंधरा राजे लड़ाई लड़ रही हैं।
पार्टी नेतृत्व की रणनीति:
अगले छह महीनों में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान के प्रभारी अरुण सिंह राज्य के सभी 33 जिलों का दौरा करेंगे। वहीं इस सप्ताह के अंत में, 2 से 4 सितंबर के बीच अरुण सिंह चुनाव के लिए पार्टी की बूथ-स्तरीय तैयारियों की निगरानी के लिए झुंझुनू, सीकर और जयपुर का दौरा करेंगे।
जहां पार्टी संगठन राजस्थान में अपनी चुनावी तैयारियां टटोलने में लगी हुई है, वहीं पिछले हफ्ते, राजस्थान के कुछ हिस्सों में “कहो दिल से, वसुंधरा फिर से” के नारे वाले पोस्टर सामने देखने को मिले। राजस्थान में पार्टी के एक नेता ने कहा कि राजे एक फाइटर हैं, वह हार नहीं मानेंगी। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन उनका समर्थन करता है और कौन नहीं। दरअसल राजे और पार्टी नेतृत्व के बीच सबकुछ अच्छा है, यह कहना मुश्किल है।
द इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि भाजपा नेतृत्व को राजस्थान में वसुंधरा राजे के काम करने के तरीके को लेकर बहुत अधिक आशंकाएं हैं और उनके खिलाफ राज्य नेतृत्व की शिकायतों को भी ध्यान में रखा गया है। ऐसे राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनाव में राजे की राह कितनी आसान होगी, ये आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा।
केंद्र और राज्य दोनों के नेता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजस्थान में 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी। मतलब यह हुआ कि राज्य में भाजपा नेतृत्व बिना सीएम फेस चुनाव में उतरने के पक्ष में नजर आ रहा है। लेकिन इन सबके बीच राजे की दावेदारी वाले पोस्टर भी दिखाई दे रहे हैं।
वहीं राजस्थान की भाजपा इकाई में राजे के प्रतिद्वंद्वियों का कहना है कि भाजपा को पिछले विधानसभा चुनाव में राजे के प्रति मतदाताओं के मोहभंग का खामियाजा भुगतना पड़ा। प्रतिद्वंद्वियों द्वारा 2018 के विधानसभा चुनावों के लिए “मोदी तुझसे बैर नहीं, वसुंधरा तेरी खैर नहीं” के नारों को याद दिलाया जा रहा है।
“हिंदुत्व के मुद्दे पर भी राजे चेहरा नहीं!”
राजस्थान के एक भाजपा नेता ने कहा कि राजे कट्टर या हिंदुत्व का चेहरा नहीं हैं। इसके अलावा भाजपा केंद्रीय नेतृत्व में जो उन्हें समर्थन देने की संभावना रखते हैं, चाहे वह राजनाथ सिंह हों या नितिन गडकरी, पर्याप्त नहीं हैं। इसलिए राजे को जमीन से अपना समर्थन जुटाने की जरूरत है।
राजस्थान में वसुंधरा राजे दो बार मुख्यमंत्री और एक बहु-कालिक सांसद रहीं है। 2018 के चुनावों में हार के बाद से पार्टी ने उन्हें किसी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने से दूर रखा। वहीं एक भाजपा नेता का मानना है कि समय बदल गया है और इसके साथ ही पार्टी के भीतर हालात भी बदल गए हैं। लेकिन राजे खुद की लड़ाई लड़ने के लिए मजबूत नजर आ रही हैं।