रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को कहा कि आरबीआई पनामा पेपर्स से जुड़े खुलासे में हुई जांच का हिस्‍सेदार है। गवर्नर ने कहा, ”हम पनामा पेपर्स पर बनी इन्‍वेस्‍ट‍िगेशन टीम का हिस्‍सा हैं। हम यह देखेंगे कि क्‍या कानूनी है और क्‍या नहीं है।” बता दें कि द इंडियन एक्‍सप्रेस ने पनामा की लॉ फर्म मोसेक फोंसेका के दस्‍तावेजों के आधार पर सोमवार को खुलासा किया कि 500 से ज्‍यादा भारतीयों ने टैक्‍स हैवन समझे जाने वाले देशों में कंपनियां स्‍थापित कीं। रिजर्व बैंक की ओर से इस तरह के निवेश को मंजूरी दिए जाने से पहले ही भारतीयों ने विदेशों में ये कंपनियां बनाईं। सोमवार को वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी के निर्देश पर सरकार ने इस खुलासे की जांच करने का फैसला किया है। जेटली ने यह भी कहा कि सरकार के लिए कोई भी दूध का धुला नहीं है।

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आरबीआई गवर्नर ने कहा, ”जो टीम इस मामले की जांच करने जा रही है, स्‍वाभाविक तौर पर हम उसके हिस्‍सा हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि बाहरी देशों में अकाउंट्स होने के तर्कसंगत कारण हैं।” रेपो रेट में कटौती के एलान के वक्‍त गवर्नर ने ऐसा कहा। उन्‍होंने कहा, ”एलआरएस (Liberalised Remittance Scheme) स्‍कीम आपको विदेशों में पैसा ले जाने की मंजूरी देता है। अभी यह देखना है कि क्‍या कानूनी है और क्‍या नहीं है। यह जांच प्रक्रिया में पता चल सकेगा।” बता दें कि एलआरएस स्‍कीम के तहत देश में रहने वाला हर शख्‍स यहां तक कि नाबालिग को भी एक वित्‍तीय वर्ष में ढाई लाख डॉलर तक के स्‍वीकार्य करेंट या कैपिटल अकाउंट ट्रांजेक्‍शन, या दोनों की मंजूरी है।

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