पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने द इंडियन एक्सप्रेस के आइडिया एक्सचेंज प्रोग्राम में शुक्रवार को कहा कि उनके कार्यालय और पश्चिम बंगाल में चुनी हुई सरकार के बीच संबंधों में सुधार एक प्रक्रिया का हिस्सा हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक राजभवन एक गैर-संघर्ष क्षेत्र बनना चाहिए।

राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने पिछले साल नवंबर में कार्यभार संभाला था। जगदीप धनखड़ के कार्यकाल के दौरान राजभवन और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच लंबा संघर्ष और खींचतान देखा गया था। उनके बाद सी वी आनंद बोस राज्यपाल बनाए गए। उन्होने द इंडियन एक्सप्रेस के आइडिया एक्सचेंज प्रोग्राम के दौरान कहा कि टकराव के स्थान पर सुलह होनी चाहिए। समाज के लिए हमेशा बीच का रास्ता ही बेहतर लगता है। एक राजभवन को नो-कंफ्लिक्ट जोन बनना चाहिए।

सी वी आनंद बोस को लेकर ममता का नरम रुख

पिछले 23 नवंबर को सी वी आनंद बोस के कार्यभार संभालने के बाद बंगाल सरकार और राजभवन के बीच संबंधों में सुधार हुआ है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सौहार्दपूर्ण संबंधों को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करते हुए राज्यपाल को एक सज्जन व्यक्ति कहा था। बंगाली सीखने के बोस के प्रयासों को राज्य में भी काफी सराहा गया।

ममता बनर्जी के बारे में पूछे जाने पर क्या बोले राज्यपाल

यह पूछे जाने पर कि वह राज्य सरकार के साथ संघर्ष को सौहार्दपूर्ण संबंधों में कैसे बदलने में कामयाब रहे, बोस ने कहा, “मैं देश में सहकारी संघवाद की अवधारणा में हो रहे विकास का केवल एक मूक गवाह था। हर समस्या का समाधान होता है और सभी समस्याओं का समाधान खोजने का ईमानदार प्रयास होना चाहिए। उन्होने कहा

“मेरे हिसाब से दो तरह के लोग होते हैं एक जो समस्याओं का समाधान ढूंढते हैं और दूसरे जो हर समाधान में समस्याएं ढूंढते हैं। जहां तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में मेरी सीमित भूमिका का सवाल है, मैं निश्चित तौर पर सुलह और सहयोग के रास्ते पर चलना चाहूंगा।

मुख्यमंत्री के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मेरी सम्मानित संवैधानिक सहयोगी हैं। राज्य के सभी हितधारक राज्य में सामान्यीकरण की प्रक्रिया और सुलह की प्रक्रिया में सहयोग कर रहे हैं।”