भारतीय रेलवे ने देश में पर्यटन की सुविधा बढ़ाने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है। दार्जिलिंग की खूबसूरत वादियों की सैर के लिए भारतीय रेलवे ने वहां ट्वॉय ट्रेन की सुविधा का प्रसार करना शुरू कर दिया है। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए खुद रेलमंत्री पीयूष गोयल ने एक ट्वीट कर लिखा, “आपने इस ट्रेन की सवारी नहीं की है! अपने बचपने को एक बार फिर बाहर लाइए और रेलवे द्वारा शुरू की गई ट्वॉय ट्रेन में बैठकर दार्जिलिंग की खूबसूरत वादियों की सैर कीजिए।” दरअसल, दार्जिलिंग में चलने वाले ट्वॉय ट्रेन को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा प्राप्त है। पूरे विश्व में यह प्रसिद्ध है। यह ट्रेन न्यू जलपाईगुड़ी के मैदानों से 2000 मीटर की ऊंचाई तक चढ़ाई करती है।

यूनेस्कों ने वर्ष 1999 में दर्जिलिंग हिमालय रेलवे को विश्व धरोहर का दर्जा दिया था। भाप इंजन से चलने वाली यह ट्रेन पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। इसका निर्माण वर्ष 1879 से 1881 के बीच किया गया था। यह 88 किलोमीटर लंबा है। इसके संरक्षण के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं। अब इसकी सेवा सिलीगुड़ी जंक्शन से रंगटंग तक विस्तार करने की योजना चल रही है। इसकी रूपरेखा भी तैयार कर ली गई है।

बारिश के मौसम में पटरी पर भू-स्खलन की वजह से कई महीनों तक इसकी सेवा बाधित हो जाती है। रेलवे इस समस्या को भी दूर करने पर ध्यान दे रही है। पर्यटन के मौसम में इस ट्वॉय टेन के टिकट की बुकिंग फुल हो जाती है। यह ट्रेन मुख्य रूप से पर्यटकों के लिए चलाई जाती है। इसके सफर में सात घंटे का समय लगने की वजह से स्थानीय लोग न्यू जलपाई गुड़ी या सिलीगुड़ी जंक्शन से दार्जिलिंग जाने से कतराते हैं। इसकी जगह वे अन्य वैकल्पिक सुविधा का इस्तेमाल करते हैं। भारतीय रेलवे की योजन इस ट्रेन में वातानुकुलित कोच लगाने की भी है, ताकि पर्यटकों को किसी तरह की परेशानी न हो।